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________________ साक्षी-सम्बन्धी अयोग्यताएं ७३७ (ऋणदाताओं), शिल्पकारों (बढ़इयों एवं धोबियों) के वर्गों के सदस्यों के बीच विवादों में उसी वृत्ति वाले सदस्य साक्षी होते एवं मध्यस्थता का कार्य कर सकते हैं। ___ साक्ष्य देने में अयोग्य ठहराये गये लोगों की सूचियाँ निम्न ग्रन्थों में पायी जाती हैं-कौटिल्य (३।११), मनु (८।६४-६७), उद्योगपर्व (३५॥४४-४७), याज्ञ० (२१७०-७१), नारद (४११७७-१७८), विष्णुधर्मसूत्र (८।१-४), बृहस्पति (२६-३०), कात्यायन (३६०-३६४) । मनु (८।११८) ने इस विषय में तर्क उपस्थित किया है कि मौखिक साक्ष्य क्योंकर झूठे ठहराये जा सकते है; लोभ, विमोह, भय, आनन्देनछा, क्रोध, मित्रता, अबोधता एवं अल्पवयस्कता से गवाही झूटी पड़ सकती है। नारद द्वारा उपस्थापित सूची विस्तृत है, अत: हम उसे ही उद्धृत करते हैं। ये लोग साक्ष्य के लिए अयोग्य ठहराये गये हैं--अर्थ से सम्बन्धित लोग (साझेदार), मिन्न (या सम्बन्धी, यथा--चाचा), साथी (कामधाम के),जिसने पहले झूठी गवाही दी हो, पापी, दास, छिद्रान्वेषी, अधार्मिक, बहुत बूढ़ा (अस्सी वर्षीय व्यक्ति), अल्पवयस्क, स्त्री, चारिक (तेली या भाट), शराबी, पागल, असावधान व्यक्ति, दुःखित व्यक्ति, जुआरी, ग्राम-पुरोहित, लम्बी याना करने वाला (लम्बी सड़कों पर), समुद्र यात्रा वाला वणिक, सन्यासी, रुग्ण, अंगभंगी, जो अकेला साक्षी हो, वेदज्ञ ब्राह्मण, जो धार्मिक कृत्य न करता हो, नपंसक, अभिनेता, नास्तिक, व्रात्य (जिसका उपनयन संस्कार न हुआ हो), स्त्री-परित्यागी, जिसने अग्निहोत्र छोड़ दिया हो (श्रौत एवं स्मातं अग्नियों में जिसने यज्ञ करना बन्द कर दिया हो), वैदिक यज्ञ के लिए अयोग्य लोगों की पुरोहिती करने वाला, जो उसी बरतन में खाये जिसमें भोजन पकाया जाता है (जो किसी दल से संलग्न हो), पूर्व शत्र (अरिचर) गप्तचर, सम्बन्धी, सहोदर, प्राग्दष्ट-दोष (जि जन्म का रूप में प्रकट हो गया हो), नर्तक (शलष या जो अपनी स्त्रियों से अभिनय कराता है), विषविक्रेता, सर्प पकड़ने वाला, विष देने वाला, गृहदाही (आग लगाने वाला), कीनाश (कृपण एवं दुष्ट व्यक्ति),किसी उच्च जाति के व्यक्ति से जनमा शद्रा-पत्र, उपपातकी, थका हआ व्यक्ति, साहसिक,वीतराग,निर्धन (जआ एवं अन्य दोषों के कारण), दृष्ट जीवन बिताने वाला, ब्रह्मचारी जो अभी गरु-गेह से लौट न सका हो, मर्ख (जड़).तेल-विक्रेता, जड़-मल बेचनेवाला, जिस पर भूत-प्रेत की सवारी होती हो, जिसे राजा घृणा की दृष्टि से देखता हो, ऋतु-सम्बन्धी भविष्यवाणी पापों की जनता में घोषणा करे, जिसने धन के लिए अपने को बेच दिया हो, जिसके छोटे अंग हों (यथा-चार अंगलियों वाले हाथ का व्यक्ति), जो अपनी स्त्री के अनैतिक व्यवहार से अपनी जीविका चलाये, खराब नाखून वाला, काले दाँतों वाला, मित्रद्रोही, धूर्त, आसव-विक्रेता, मदारी, लोभी, क्रोधी, किसी श्रेणी या गण का विरोधी, कसाई, खाल विक्रेता, जालसाज (लेखप्रमाण, सिक्का या बटखरों के साथ जो कूट-व्यवहार करे), लूला-लँगड़ा, ब्रह्महत्यारा, जो मन्त्र या दवा-दारू से अन्य को प्रभावित करे, जो संन्यास-मार्ग से च्युत हो (प्रत्यवसित), लुटेरा, राजभृत्य, मनुष्यों, पशुओं, मांस, अस्थि, मधु, दुग्ध, जल, घी की बिक्री करने वाला ब्राह्मण, तीनों उच्च जातियों वाले व्यक्ति जो रुपयों का लेन-देन करें, जिसने अपनी जाति का कर्तव्य छोड़ दिया हो, कुलिक (राजा द्वारा नियुक्त व्यक्ति जो विवाद आदि में निर्णय दे),भाट, नीच जाति को नौकरी करने वाला, पिता से लड़ाई करने वाला तथा वह जो झगड़ा खड़ा करे। कौटिल्य (३।११), मनु (८।६५), विष्णुधर्मसूत्र (८।१) तथा अन्य स्मृतिकारों ने लिखा है कि राजा साक्ष्य का कार्य नहीं कर सकता (सम्भवतः उस मामले को छोड़कर जिसमें उसके समक्ष बातें हुई हों)। उपर्युक्त अयोग्य साक्षियों की लम्बी सूची प्रकट करती है कि स्मृतिकार साक्षियों के विषय में बड़े ही सतर्क थे। मल्लानां हस्त्यश्वायुधजीविनाम् । प्रत्येक समूहानां नायका वगिणस्तथा ॥ तेषां वादः स्ववर्गेष वर्गिणस्तेषु साक्षिणः । कात्यायन (अपरार्क, पृ० ६६६ में उद्धृत)। २१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002790
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1973
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size12 MB
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