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________________ ८६ याज्ञवल्क्य स्मृति लाभ और हानि बराबर उठानी पड़ेगी। या उन लोगों ने पहले जो प्रतिज्ञा कर ली हो २६२-२६८ __ स्तेयप्रकरणवर्णनम् : १२६८ चोर को पकड़ने वाले को पहले उसके पैरों के चिह्न से या पहले जो चोरी में पकड़े गए हों, जुआरी, वेश्यागामी तथा शराबी और बात में अटपट करे तो उनको पकड़ लेना चाहिए । चोरी में पूछने पर जो सफाई नहीं दे उसे चोरी का दण्ड दिया जाता है । चोर को भिन्न भिन्न प्रकार से ताड़ना देकर चोरी पूछ लेनी चाहिए। विषाग्निा पतिगुरुनिजापत्यप्रमापिणीम् । विकर्णकरनासोष्ठी कृत्वा गोभिः प्रमापयेत् ॥ विष देनेवाली, अग्नि लगानेवाली, पति, गुरु और अपने बच्चों को मारनेवाली स्त्री के नाक कान काटकर जल में बहा देना चाहिए। क्षेत्रवेश्मवनग्रामविवीतखलदाहका: । राजपत्न्यभिगामी च दग्धव्यास्तु कटाग्निना ॥ खेत, मकान और ग्राम इनको जलाने वाले को और राजा की स्त्री के साथ गमन करने वाले को आग में जला देना चाहिए २६६-२८५ स्त्रीसंग्रहणप्रकरणवर्णनम् : १३०० किसी स्त्री के केशों को पकड़ने या करधनी या स्तन मरदन करना या अनुचित हंसी करना ये चिह्न व्यभिचार के समझे जायेंगे । स्त्री के ना करने पर जबरदस्ती हाथ लगावे तो सौ पल और पुरुष के ना करने पर दुगुना दण्ड । किसी अलंकृत कन्या को हरण करे उसको कड़ा दण्ड यदि लड़की की इच्छा हो तो दण्ड नहीं होता है । पशु के साथ व्यभिचार करने वाले को सौ पल दण्ड। नौकरानी के साथ व्यभिचार करने वाले को दण्ड । जो वेश्या पैसा लेकर बाद में रोके तो उसे दूना दण्ड । किसी लड़के से या किसी साधुनी के साथ अप्राकृतिक मैथुन करने वाले को चौबीस पल दण्ड । राजा की आज्ञा में रहकर जो कम या विशेष लिखे उसको दण्ड । छल से खोटे सिक्के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002787
Book TitleSmruti Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagsharan Sinh
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1993
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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