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याज्ञवल्क्य स्मृति
हस्ताक्षर कर दे एवं अपना तथा अपने पिता का नाम लिख दे । लेख बिना साक्षी के भी हो सकता है जो अपने हाथ से लिखा हुआ हो किन्तु वह बलपूर्वक लिखाया हुआ न हो । रुपया जितना देता जाए उस कागज के पीछे लिखता जाय । धन चुक जाने पर उस कागज को फाड़ देवे या साक्षी के सामने ऋणी को वापस दे दें
८६-६६ दिव्य प्रकरणम्"१२७६ जब कोई साक्षी आदि प्रमाण न मिले तब दिव्य कराया जाता है।
दिव्य कितने प्रकार के होते हैं ---- १-तुला, २-अग्नि, ३- जल, ४-विष, ५-कोश। ये
दिव्य बड़े मामलों में किये जाते हैं छोटे व्यवहार में नहीं । १ तुला-तराजू बनाकर तोला जाता है जो तोलने पर ऊपर या नीचे जाता है उसकी विधि पुस्तक में लिखी है । २ अग्नि--लोहे के गोले को गरम कर दोनों हाथों में लेकर चलना होता है जो शुद्ध हो उसके हाथ नहीं जलते हैं । ३ जल-नाभी मात्र गहरे जल में तीर डालकर धुलाना पड़ता है। ४ विष - · शुद्ध को खिलाने पर उसे जहर नहीं लगता । ५ कोश-किसी देवता का जल पिलाने से उसको अगर चौदह दिनों तक अनिष्ट नहीं हुआ तो शुद्ध समझा जाता है।
९७-११५ वायविभाग प्रकरणम् १२८१ । पिता को अपनी इच्छा से विभाजन करने का अधिकार है पिता के बाद भाई अपने आप विभाग किस प्रकार से करे और जो धन अविभाज्य है उसका वर्णन
११६-१२१ भाईयों का बटवारा और भाईयों के लड़कों का विभाग उसके
पिता के नाम से होगा । जिन-जिन भाईयों का संस्कार नहीं हुआ उनका पैतृक धन से संस्कार और निर्वाह-बहनों को अपने हिस्से से चौथाई देकर विवाह करे
१२२-१२७ जाति विभाग से बटवारा
१२८-१३० बारह प्रकार के पुत्रों का वर्णन
१३१-१३५
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