________________
वृहद पाराशर स्मृति
मधेनु, गजदान, अश्वदान, कृष्णाजिन दान, सुखासन (पालकी) दान आदि
भूमिदान, तुलादान, धातुदान, विद्यादान, प्राणदान, अभयदान और
अन्नदान
अपूप ( मालपुए) के दान का उल्लेख है पृथक्-पृथक् दान के प्रकार और उनकी महिमा
गोदान का माहात्म्य, गोदान की विधि और बैल के दान की विधि उभयमुखी (जो गाय बच्चे को उत्पन्न कर रही है) उस दशा में गोदान की विधि और उसका माहात्म्य
तिलधेनु दान विधि और माहात्म्य तथा विशेष सामग्री का वर्णन घृतधेनु की विधि एवं उसकी सामग्री और उसके फल का वर्णन जलधेनु विधि और उसके फल
हेमधेनु, स्वर्ण की धेनु बनाने का प्रकार पूजाविधि और दानविधि तथा दान के माहात्म्य का उल्लेख है । स्वर्णधेनु की रचना किस प्रकार करनी और क्या-क्या रत्न उसके किस-किस अंगप्रत्यंग में लगाने चाहिए उसका वर्णन कृष्णमृगचर्म के दान का विधान वैसाखी पूर्णिमा और कार्तिक की पूर्णिमा को जो दान किया जाय उसका माहात्म्य मार्ग दान को विधि
हयगज दान विधि वर्णनम् : ८८१
सुखासन दान, रथदान, हस्तीदान अश्वदान एवं उसका अलंकार और उसकी दान विधि
कल्यावान का माहात्म्य पुत्रदान का माहात्म्य
भूमिदान वर्णनम् ८८३
:
भूमिदान का माहात्म्य, सब दानों से श्रेष्ठ भूमिदान बताया है । भूमिदान करने वाला सब पापों से मुक्त हो अनन्त काल तक स्वर्ग में रहता है
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
६३
३-६
१०-१७
१८-२४
२५-४०
४१-४५
४६-७०
७१-८६
८७-१०३
१०४ - १२१
१२२-१४२
१४३-१४६
१५०-१६६
१७०-१७१
१७२-१७३
१७४-२००
www.jainelibrary.org