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________________ ३६ ३. प्रकीर्णरोगाणां प्रायश्चित्तम् : ६०७ प्रकीर्ण रोगों का प्रायश्चित्त सुरापान आदि अभक्ष्यभक्षण का प्रायश्चित्त विष दाता, सड़क तोड़ने वाले को रोग और प्रायश्चित्त । गर्भपात करने से यकृत प्लीहा आदि रोग होते हैं उनके प्रायश्चित्त, जल धेनु और अश्वत्थ का पूजन और दान दुष्टवादी का अंग खण्डित हो जाता है। सभा में पक्षपात करनेवाले को पक्षाघात रोग, उसका प्रायश्चित्त ४. कुलध्वंसकस्य, स्तेयस्य च प्रायश्चित्तम् : ६०६ कुल को नाश करने वाले को प्रमेह की बीमारी और उसका निदान ताम्बा, कांसा, मोती आदि चोरी करने से जो रोग होते हैं उसका वर्णन और प्रायश्चित्त शातातपस्मृति दूध दही आदि चोरानेवाले को रोग तथा उसका निदान मधु चोरी करने वाले को बीमारी और उसका प्रायश्चित्त लोहा की चोरी से रोग की उत्पत्ति और उसका प्रायश्चित्त तेल की चोरी से रोग की उत्पत्ति और उसका प्रायश्चित्त धातुओं की चोरी से रोग और उसका प्रायश्चित्त तथा वस्त्र, फल, पुस्तक, शाक, शय्या छोटी वस्तु चोराने से जो जो बीमारी होती है उनका विस्तार, उनके शमनार्थं प्रायश्चित्त, व्रत, दान ५. अगम्यागमन प्रायश्चित्तम् : ६१३ मातृ गमन से मूत्र कुष्ठ (लिंग नाश) रोग लड़की के साथ व्यभिचार करने से रत्तकुष्ठ भगिनी के साथ व्यभिचार करने से पीतकुष्ठ ऊपर के पापों का प्रायश्वित्त विधान और दान Jain Education International For Private & Personal Use Only १-६ ७- १५ १६-१ε २०-२१ २२ २-७ ८-१० ११-१२ १४ १५ २६ २७ २८ २६-३५ भ्रातृ भार्या गमन करने से गलित कुष्ठ ३६ वधू गमन करने से कृष्ण कुष्ठ ३७ करने से भिन्न-भिन्न रोग ) । ( चतुर्थ अध्याय में भी मातृगमन भगिनी गमन, तपस्विनी के साथ गमन राज और राजपुत्र को चोरी से मारना, मित्र में भेद करानेवाले का वर्णन, गुरु को मारने से रोग और प्रायश्चित्त । छोटे १६-१६ www.jainelibrary.org
SR No.002787
Book TitleSmruti Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagsharan Sinh
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1993
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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