SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 39
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रङ्गिरसस्मृति सवप्रायश्चित्तविधानं, अन्त्यजानां द्रव्यभाण्डेषु जलपानं, अज्ञानवशाज्जलपानं उच्छिष्ट भोजनं नीलवस्त्रधारणं कृत्वा दानादिकरणे प्रत्यवायः, भूमौ नीलवपनाव् द्वादशवर्ष पर्यन्त भूमेरशुद्धिः, गोवधप्रायश्चित्त स्त्री शुद्धिवर्णनं, अन्नभक्षणेन भेदान्तर पापवर्णनम् द्विविवाहितायाः कन्याया अन्नभक्षणेन प्रायश्चित्तम्, दोषयुक्त मनुष्यान्न वर्णनम् राजान्नं शूद्रान्नं च तेज वीर्यह्रास कत्वं सूतकान्नं मलतुल्यं वर्णनं मिति : ५६१ अन्त्यज के बरतन में पानी पीने से प्रायश्चित्त-विधान " अज्ञान से पानी पौने पर केवल एक दिन का उपवास उच्छिष्ट भोजन करने का प्रायश्चित्त नीला वस्त्र पहनकर भोजन दान करने से चान्द्रायण व्रत जिस भूमि पर नील की खेती एक बार भी की जाय वह भूमि बारह वर्ष तक शुद्ध नहीं होती गाय के मरने पर प्रायश्चित्त गोपाल या स्वामी की असावधानी से शृङ्गादि टूटने से गाय क े मरने पर भिन्न-भिन्न प्रकार के प्रायश्चित्त रजस्वला स्त्री की शुद्धि अन्न के दोष और जो जिसका अन्न खाता है उसका पाप उन स्थानों की गणना जहां पादुका पहनकर नहीं जाना चाहिए जिसका अन्न नहीं खाना चाहिए जो कन्या दुबारा ब्याही जाय • जिन जिन का अन्न खाने में दोष हो उसका वर्णन राजा के अन्न से तेज का ह्रास, शूद्र का अन्न से ब्रह्मचर्य का ह्रास और सूतक का अन्न बिल्कुल दूषित Jain Education International For Private & Personal Use Only १-६ ७ ८- १४ १५-२२ २४ २५-२६ २६-३४ ३५-४२ ४३-५८ ५६-६३ ६४-६५ ६६ ६७-७२ ७३ www.jainelibrary.org
SR No.002787
Book TitleSmruti Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagsharan Sinh
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1993
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy