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________________ वाधूलस्मृति मैथुन में त्याज्य दिनों की गणना-षष्ठी, अष्टमी, एकादशी, द्वादशी, चतुर्दशी, दोनों पर्व अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रान्ति कोई भी श्राद्ध दिन, जन्म नक्षत्र का दिन, श्रवण व्रत का समय और जो भी विशेष महत्त्वपूर्ण दिन हैं उनमें मैथुन (स्त्री गमन) निषिद्ध है १८२-१८३ शुभ समय में अर्थार्थी मनुष्य जिन कामों को अपने स्वार्थ के लिए करता है उन्हें ही यदि धर्म के लिए करे तो संसार में कोई दुःखी नहीं रह सकता अर्थार्थी यानि कर्माणि करोति कृपणो जनः । तान्येव यदि धर्मार्थ कुर्वन् को दुःखभाग्भवेत् ॥ १८६ ॥ भिन्न-भिन्न वस्तुओं एवं पतितों के छू जाने से स्नान का विधान किसी वस्तु को बेचने पर स्नान का विधान आवश्यक है १८४-१८८ श्रुति स्मृति के आदेश प्रभु की आज्ञा है इनको न मानने वाले को ___भगवद्भक्त बनने का अधिकार नहीं १८४ सच्चे अन्धे का लक्षण-जो श्रुति स्मति का अध्ययन मनन और अनुशीलन कर उनके मार्ग का अनुष्ठान नहीं करता वह अन्धा १६०-१६१ पापी को धर्मशास्त्र अच्छे नहीं लगते १६२ सच्चा ब्राह्मण वही है जो ऋण करने से ऐसे डरता है जैसे सर्प को देखकर । सम्मान से ऐसे दूर रहता है जैसे लोग मरने से और स्त्रियों के सम्पर्क से जैसे मृतक से घणा होती है वैसे दूर रहता है । ब्राह्मण वह है जो शान्त हो, दान्त हो, क्रोध को जीतने वाला हो, आत्मा पर पूरा अधिकार करने वाला हो, इन्द्रियों का निग्रह कर चुका हो । ब्राह्मण का यह शरीर उपभोग के लिए नहीं बल्कि क्लेश के साथ तपस्या करते हुए ऊर्ध्व लोक में अनन्त सुख की प्राप्ति के लिए है १६३-१६४ दर्श में सूखे कपड़े पहनकर तिलोदक जल के बाहर दे, गीले वस्त्रों से पितर निराश होकर चले जाते हैं । १६५-२०१ श्राद्ध के बाद ब्राह्मण भोजन का विधान २०२ विवाह में, श्राद्धादि में नान्दी श्राद्ध २०३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002787
Book TitleSmruti Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagsharan Sinh
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1993
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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