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________________ १०६ ४२-५७ १-२० वेदव्यास स्मृति पुरुष का कर्तव्य स्त्री के प्रति “गच्छेद्युग्मासुरात्रिषु" इत्यादि । यह __ भारतीय संस्कृति का नियम प्रत्येक गृहस्थी को आदरणीय एवं माचरणीय है ३. सस्नानावि, तर्पण, पाकयज्ञादिविधि गृहस्थी के नित्य नैमित्तिक काम्य कर्मों का निर्देश तथा उषाकाल में जागकर कर्म में प्रवृत्त होने की विधि । सन्ध्या कर्म, पितृ तर्पण, वेदाध्ययन, धर्मशास्त्र इतिहास को प्रातःकाल पढ़ने का विधान पाकयज्ञ विधान, दान का माहात्म्य, गुणवान् को श्राद्ध में भोजन कराना, वेदादि शास्त्र के ज्ञाता को ही ब्राह्मणत्व में हेतु बताया है। एक पंक्ति में सबको समान भोजन देना, शूद्रान्न भक्षण का दोष ४. गृहस्थाश्रमप्रशंसापूर्वकतीर्थधर्मवर्णनम् १६४८ सांस्कृतिक जीवनी का वर्णन, माता पिता ही परम तीर्थ है। दान के विषय में यथा - ययाति यवश्नाति तदेव धनिना धनम् । अन्य मतस्य क्रीडन्ति वारैरपि धनैरपि ॥ दान देना तथा धन का भोग करना यही अपना धन समझो । धन होने पर दाता भोक्ता बनो यह धार्मिक नैतिक अनुशासन बताया है। पढ़े हुए पुरुष का जीवन सफल और अनपढ़ का जीवन निरर्थक है। आचार्य आदि की परिभाषा, सुपात्र को दान देने से ही वह सफल होता है २१-७१ १-७२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002787
Book TitleSmruti Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagsharan Sinh
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1993
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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