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________________ पउमसिरि चरिउ पंचकल गणोनो ढाळो घणुंखरुं रगणनो होय छे. उत्तरकालीन अपभ्रंश साहिल्यमा आ छंद वारंवार प्रयुक्त थयेलो जोवा मळे छे. तेनुं बंधारण झुलणा छंदना पूर्वाशने मळतुं छे. ___२ घत्तामा प्रयोजायेला छंदो संधिना आरंभे अने ते संधिना दरेक कडवकने अंते कडवकना देहमां वपरायेला छंदथी जुदो ज छंद अंत सूचववा माटे वपराय छे. कडवकना आ अंतसूचक खंडन सामान्य नाम घत्ता छे. एक मंधिनी बधी घत्ताओ घ[रवरं एक ज छंदमां होय छे. (अ) पहेली संधिना आरंभनुं बीजं पद्य अने तेना दरेक कडवकनी पत्ता १०+८+१३ ए मापनी षट्पदीमां रचायां छे. षट्पदीमां प्रासयोजना पहेली ने बीजी पंक्ति वच्चे, चोथी ने पांचमी पंक्ति वच्चे अने त्रीजी ने छठी पंक्ति बच्चे : ए प्रमाणे होय छे. आठमा कडवकनी घत्तामा १०+८+१२ एम सहेज जुदा मापनी षट्पदी मळे छे. आमां दशमात्रिक पादमां ४+४+२ के ६+४ एवी गणयोजना छे. अष्टमात्रिकमा ४+४ (जगण निषिद्ध ) ए प्रमाणे छे. १३ मात्रानो पाद ६+४+३ ए योजनाने अनुसरे छे. उत्तरकालीन अपभ्रंशकाव्योमां आ षट्पदी घणी जाणीती छे. (आ) बीजी संधिनुं बीजं पद्य अने ते संधिनी मोटा भागनी घत्ताओ १०+१३ ए मापना अंतरसमा चतुष्पदी प्रकारना छंदमां छे. आ प्रकारमा प्रासयोजना बीजी अने चोथी पंक्ति वच्चे ज होय छे. बंने पादोनी गणयोजना उपर्युक्त षट्पदीना ते ज मापना पादो प्रमाणे छे. बीजी संविना २२ कडवकमांथी १, २, ३, ४, ५, ८, ९, १०, १२, १५, २०, २१ ए १२ कडवकनी घत्तामा उपर कह्यो ते छंद वपरायो छे. बाकीना कडवकनी घत्ताओना छंदोगें माप आ प्रमाणे छ : १३, १६, १८ ने १९ नी घत्तामा १०+१२ ६ नी धत्तामा १२+१३ १४ नी घत्तामा १३+१३ ११, १७ ने २२ नी घत्तामां १४+१३ ७ नी घत्तामा १०+८+१३ (इ) त्रीजी अने चोथी संधिनी घत्ताओनो छंद १४+१३ ए मापनी अंतरसमा चतुष्पदी छे. मात्र ३, ३ मां १४+१२ अने ४, ३ ने ४, १६ मा १०+८+१३ ए षट्पदी मळे छे. १४ मात्रावाळो पाद ४+४+४+२ (पहेला अने त्रीजा चतुष्कलमां जगण निषिद्ध) ए रीते विभक्त थई शके छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002783
Book TitlePaumsiri Chariu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhahil Kavi, Jinvijay
PublisherSinghi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
Publication Year1948
Total Pages124
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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