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________________ सिं घी जैन ग्रन्थ मा ला mom अद्यावधि मुद्रित ग्रन्थ moment मूल्य १प्रबन्धचिन्तामणि, मेरुतुङ्गाचार्यविरचित. ( इतिहासविषयक विश्रुत अन्य ) पाठभेदादि युक्त सुसंपादित, सुविशुद्ध संस्कृत मूल ग्रन्थ, तथा विस्तृत हिन्दी प्रस्तावना समन्वित 3-1 2 पुरातनप्रबन्धसंग्रह, (संस्कृतमय, अज्ञातकर्तृक, ऐतिह्य तथ्यपूर्ण) प्रबन्धचिन्तामणि सदृश, अनेकानेक पुरातन ऐतिहासिक प्रबन्धोंका अपूर्व एवं विशिष्ट संग्रह 3 प्रबन्धकोश, राजशेखरसूरिरचिंत. (संस्कृत गद्य-पद्यमय 24 ऐतिहासिक निबन्धोंका संग्रह) अनेकविध पाठान्तरादियुक्त, विशुद्ध संस्कृत मूल अन्थ, विस्तृत हिन्दी प्रस्तावना आदि सहित 4 विविधतीर्थकल्प, जिनप्रभसूरिकृत. (संस्कृत-प्राकृतभाषानिबद्ध पुरातनं तीर्थवर्णन) पुरातन कालीन जैन तीर्थस्थानोंका वर्णनखरूप अपूर्व एवं विशिष्ट ऐतिहासिक प्रन्थ ५देवानन्दमहाकाव्य, मेघविजयोपाध्यायविरचित. (माघ महाकाव्यका समस्यापूर्तिरूप) विजयदेवसूरिचरित्र-निरूपक सुन्दर, ऐतिहासिक, काव्य ग्रन्थ 6 जनतर्कभाषा, यशोविजयोपाध्यायकृत. (जैनतर्क विषयक पाठ्य ग्रन्थ ) मूल संस्कृत ग्रन्थ तथा पं० सुखलालजीकृते नूतन विशिष्ट संस्कृत व्याख्यायुक्त 7 प्रमाणमीमांसा, हेमचन्द्राचार्यकृत. (जैनन्यायशास्त्रविषयक मौलिक ग्रन्थ ) सुविशुद्ध मूल प्रन्थ तथा पं० सुखलालजीकृत विस्तृत हिन्दी विवरण और प्रस्तावनादि सहित 8 अकलङ्कग्रन्थत्रयी, भट्टाकलदेवकृत. (न्यायतत्त्व प्रतिपादक 3 मौलिक अन्योंका विशिष्ट संग्रह) न्यायाचार्य पं. महेन्द्र कुमारजी संपादित, विस्तृत प्रस्तावना और हिन्दी विवरण युक्त 9 प्रबन्धचिन्तामणि, संपूर्ण हिन्दी भाषान्तर हिन्दी भाषामें सर्वथा नवीन ऐतिहासिक ग्रन्थ, विस्तृत प्रस्तावनादि समलङ्कत 10 प्रभावकचरित, प्रभाचन्द्रसरिरचित. (प्राचीन जैन इतिहासका प्रौढ एवं प्रधान प्रन्थ) सुविशुद्ध संस्कृत मूल ग्रन्थ, हिन्दी प्रस्तावना, परिशिष्टादि समलत 11 Life of Hemachandracharya: By great Indologist Dr. G. Buhler. 312 भानुचन्द्रगणिचरित, सिद्धिचन्द्रोपाध्यायरचित. (संस्कृत भाषामय आत्मचरित खरूप अपूर्व कृति) संस्कृत मूल ग्रन्थ, सुविस्तृत इंग्लीश प्रस्तावनादि समेत अनुपम ऐतिहासिक प्रन्थ 13 शानविन्दुप्रकरण, यशोविजयोपाध्यायविरचित. (ज्ञानतत्त्वनिरूपक प्रौढ शास्त्रीय प्रन्थ) पं० सुखलालजी संपादित एवं विवेचित, अनेक दार्शनिक विचार परिपूर्ण निबन्ध समन्वित 14 बृहत् कथाकोश, हरिषेणाचार्यकृत. (धर्मोपदेशात्मक 157 कथाओंका महान् संग्रह) डॉ. ए. एन, उपाध्ये संपादित, सुविस्तृत इंग्रेजी प्रस्तावनादि सहित . 15 जैनपुस्तकप्रशस्तिसंग्रह, प्रथम भाग. पुरातनसमयलिखित ताडपत्रीय पुस्तकोंकी अपूर्व ऐतिहासिक प्रशस्तिोंका अभिनव संग्रह प्राप्ति स्थान भारतीय विद्या भवन बंबई Published by the Secretaries, Bharatiya Vidya Bhavan, Bombay! . Printed by Ramchandra Yesu Shedge, at the Nirnaya Sagar Press, 26-28, Kolbhat Street, Bomba Jain Education International For Private & Personal Lise Only
SR No.002781
Book TitleJain Pustak Prashasti Sangraha 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherSinghi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
Publication Year1943
Total Pages218
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size14 MB
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