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विवरण
इस दक्षिणाभिमुख मन्दिर' का प्रवेश द्वार अपने उच्चकोटि के अलंकरण के लिए उल्लेखनीय है । दोनों पक्षों पर सबसे नीचे गंगा-यमुना और सिरदल पर दायें पुस्तक एवं वीणाधारिणी सरस्वती तथा मध्य में तीर्थंकर शान्तिनाथ का अंकन है, जबकि बायीं ओर की देवी खण्डित हो चुकी है। तीर्थंकर मूर्तियों के दोनों ओर अंकित देव-देवियों में नाग और नागी का अंकन देवगढ़ में विरल ही दृष्टिगत होता है । अलंकरण के अन्तर्गत ( द्वारपक्षों पर ) अनेक देवों को एक-एक ऊँचे मुड्ढे पर अर्धस्थित अवस्था में अंकित दिखाया गया है ।
गर्भगृह में वेदिका पर शंखचिह्न से अंकित एकमात्र शिलापट्ट स्थापित है, जिस पर 22वें तीर्थंकर नेमिनाम की एक विशालाकार पद्मासन मूर्ति उत्कीर्ण है।
(ब) लघु मन्दिर
लघु मन्दिर : संख्या 1
( मन्दिर संख्या 12 के दक्षिण में पूर्व की ओर स्थित ) :
माप
अधिष्ठान की लम्वाई (उ. - द )
अधिष्ठान की चोड़ाई ( पू. - प.) 8 फुट 6 इंच
अधिष्ठान - समतल
अधिष्ठान से मण्डप की छत की ऊँचाई 7 फुट 5 इंच अधिष्ठान से गर्भगृह की ऊंचाई 8 फुट
विवरण
यह लघु, किन्तु कई दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण, उत्तरमुख मन्दिर अपने मूलरूप में पूर्णतः विद्यमान है । इसका चार स्तम्भों पर आधारित मण्डप साधारण और प्रवेश-द्वार भव्यता से अलंकृत है। प्रत्येक भित्ति के बहिर्भाग पर चार स्तम्भाकृतियाँ हैं, और उनके मध्य में एक-एक शिखरयुक्त देवकुलिका का अंकन है, जिनमें एक-एक पद्मासन तीर्थकर का अंकन है। गर्भगृह में पाँच शिलापट्ट स्थित हैं, जिनमें दो पर पद्मासन और शेप पर कायोत्सर्गासन तीर्थंकर उत्कीर्ण हैं ।
1. दे. चित्र संख्या 361
2. द. चित्र संख्या ॐ ।
12 फुट 8 इंच
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स्मारक :: 65
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