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________________ चरणपादुका की वेदी की ऊँचाई 3 इंच चरणपादुका का शिलापट्ट समचतुष्कोण 2 फुट 5 इंच इस चरणपादुका के शिलापट्ट की दायीं ओर एक 1 फुट 1 इंच 1 इंच × 7 इंच के शिलापट्ट पर 24 तीर्थंकरों के चरण-चिह्न 12 पंक्तियों में उत्कीर्ण हैं 1 यह शिलापट्ट सरोवर के निकटवर्ती ध्वंसावशेषों में से लाकर यहाँ स्थापित किया गया है : प्रथम अधिष्ठान से शिखर के अधिष्ठान की ऊँचाई 10 फुट 3 इंच शिखर के अधिष्ठान से शिखर की ऊँचाई 6 फुट 9 इंच शिखर की परिधि 16 फुट विवरण यह पूर्वाभिमुख मन्दिर' चारों ओर से खुला है और चार स्तम्भों पर आधारित है। इसमें प्रवेश करने के लिए सोपान - मार्ग पूर्व में न होकर उत्तर और दक्षिण में हैं । इसकी छत का अन्तर्भाग अलंकृत है, जो विशेष रूप से उल्लेखनीय है I इसमें चरण पादुकाओं के दो शिलाफलक" विद्यमान हैं । मन्दिर संख्या 8 माप अधिष्ठान की लम्बाई (उत्तर - दक्षिण ) 21 फुट 11 इंच अधिष्ठान की चौड़ाई (पूर्व-पश्चिम ) 20 फुट अधिष्ठान की ऊँचाई 5 इंच अधिष्ठान से छत की ऊँचाई 8 फुट 6 इंच मन्दिर की लम्बाई 17 फुट 11 इंच और चौड़ाई 9 फुट 1 इंच विवरण आठ स्तम्भों पर आधारित लम्बाकार मण्डप और तीन द्वारों वाला यह पूर्वाभिमुख मन्दिर किसी भी लक्षण से मन्दिर सिद्ध नहीं होता । अनुमान है कि इसमें साधु या कोई अन्य व्यक्ति निवास करते होंगे। अवश्य ही, प्रथम द्वार (बायें) की 1. दे. - चित्र संख्या 101 2. अलंकरण के लिए दे. - चित्र संख्या 11 । 3. दे. - चित्र संख्या 12 | 4. दे. - चित्र संख्या 13 | 46 :: देवगढ़ की जैन कला एक सांस्कृतिक अध्ययन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002774
Book TitleDevgadh ki Jain Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size10 MB
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