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________________ 96. (क) उक्त मन्दिर के गर्भगृह के स्तम्भ पर उत्कीर्ण पद्मासन मूर्ति । (ख) दो पंक्तियाँ । (ग) हिन्दी, देवनागरी । (घ) अज्ञात । (ङ) अस्पष्ट । 97. (क) उक्त मन्दिर के गर्भगृह का स्तम्भ । (ख) आठ पंक्तियाँ। (ग) अशुद्ध संस्कृत, देवनागरी । (घ) बुधवार, माघ सुदी अष्टमी, संवत् 1495। (ङ) अस्पष्ट । 98. (क) जैन मन्दिर संख्या 17 में स्थित चार फुट ऊँची कायोत्सर्ग तीर्थंकर मूर्ति । (ख) एक पंक्ति । ( ग ) संस्कृत, देवनागरी। (घ ) अज्ञात । (ङ) प्रदाता सदिया। 99. (क) जैन मन्दिर संख्या 18 के समक्ष ( चबूतरे पर ) अवस्थित मानस्तम्भ । (ख) तीन पंक्तियाँ । ( ग ) संस्कृत, देवनागरी । (घ ) संवत् 1121, राज्यपाल । (ङ) श्री यशस्कीर्त्याचार्य ने राज्यपाल मठ (मं. सं. 18 ) के समक्ष दो मानस्तम्भ स्थापित कराये। यह राज्यपाल मठ मन्दिर सं. 18 का प्राचीन नाम होना चाहिए। 100. ( क ) जैन मन्दिर संख्या 19 में विद्यमान चक्रेश्वरी यक्षी की मूर्ति । (ख) एक पंक्ति । (ग) संस्कृत, देवनागरी । (घ) अज्ञात । (ङ) इस मूर्ति का दान राज्यपाल की पत्नी ने किया । 101 (क) जैन मन्दिर संख्या 16 के समीप प्राप्त अभिलिखित स्तम्भ । (ख) बारह पंक्तियाँ अपूर्ण । ( ग ) संस्कृत, देवनागरी । (घ) अज्ञात । (ङ) आचार्य माघनन्दी और उनकी प्रभावोत्पादक व्याख्यान शैली का वर्णन । 102. (क) जैन मन्दिर संख्या 19 में स्थित देवी मूर्ति । (ख) छह पंक्तियाँ । (ग) संस्कृत, देवनागरी । (घ) संवत् 11... ( यह अभिलेख 12वीं शती का होना चाहिए, इसमें 11 के परवर्ती दो वर्ण टूट गये हैं) । (ङ) इस देवी मूर्ति का निर्माण त्रिभुवनकीर्ति की प्रेरणा से हुआ । 103. (क) जैन मन्दिर संख्या 19 में स्थित सरस्वती की मूर्ति । (ख) आठ पंक्तियाँ | ( ग ) संस्कृत, देवनागरी । (घ ) अज्ञात । (ङ) यह मूर्ति भी त्रिभुवनकीर्ति की प्रेरणा से निर्मित हुई । 104. (क) जैन मन्दिर संख्या 19 में स्थित पद्मावती यक्षी की मूर्ति । (ख) छह पंक्तियाँ । (ग) संस्कृत, देवनागरी । (घ) संवत् 1126 । (ङ) पद्मावती यक्षी की यह मूर्ति अमोदिनी के द्रव्य से प्रतिष्ठित हुई । इस अभिलेख में उत्कीर्ण-कर्ता ने अपना नाम भी अंकित किया है- पं. गोपाल I 105. (क) जैन मन्दिर संख्या 20 का प्रवेश द्वार । (ख) तीन पंक्तियाँ । (ग) संस्कृत, देवनागरी । (घ) अज्ञात । (ङ) अत्यन्त टूटा-फूटा । 106. (क) जैन मन्दिर संख्या 20 में स्थित शान्तिनाथ की कायोत्सर्ग मूर्ति । (ख) 280 :: देवगढ़ की जैन कला एक सांस्कृतिक अध्ययन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002774
Book TitleDevgadh ki Jain Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size10 MB
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