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________________ 86. (क) उक्त मन्दिर के प्रदक्षिणापथ में स्थित पार्श्वनाथ की 10 फुट 2 इंच ऊँची कायोत्सर्ग मूर्ति । (ख) छह पंक्तियाँ । (ग) संस्कृत, देवनागरी । (घ) अज्ञात । (ङ) प्रतिष्ठापक युगल भ्राता गंगक और शिवदेव । 87. (क) उक्त मन्दिर के महामण्डप में आठ फुट ऊँची पार्श्वनाथ की कायोत्सर्ग मूर्ति । (ख) क्रमशः तीन एवं दो पंक्तियों के दो अभिलेख । (ग) संस्कृत, देवनागरी । (घ) अज्ञात । (ङ) अस्पष्ट । 88. (क) जैन मन्दिर संख्या 12 के अर्धमण्डप का दक्षिण-पूर्वी स्तम्भ । (ख) दस पंक्तियाँ । (ग) संस्कृत, देवनागरी । (घ) गुरुवार, अश्वयुज शुक्ल चतुर्दशी, वि. सं. 919, भोजदेव ( कन्नौज के गुर्जर-प्रतिहारवंशी शासक) । (ङ) इस स्तम्भ की स्थापना श्री कमलदेवाचार्य के शिष्य श्रीदेव ने करायी थी । उस समय यह स्थान गुर्जर-प्रतिहारवंशी शासक भोजदेव की राज्यसीमा में था और यहाँ उसके महासामन्त विष्णुराम पचिन्द का शासन था तथा इस स्थान का नाम उस समय लुअच्छगिरि था । अभिलेख पाठ के लिए देंखे, परिशिष्ट दो, अभिलेख क्रमांक एक । 89. (क) जैन मन्दिर संख्या 13 में तीर्थंकर मूर्ति का सिंहासन । (ख) एक पंक्ति । (ग) संस्कृत, देवनागरी । (घ ) अज्ञात । (ङ) इस मूर्ति के समर्पण का विवरण | 90. (क) जैन मन्दिर संख्या 14 के दायाँ प्रवेश द्वार का सिरदल । (ख) एक पंक्ति । (ग) संस्कृत, देवनागरी । (घ ) अज्ञात । (ङ) श्री नागसेन आचार्य द्वारा इस द्वार के दान कराने का विवरण | 91. (क) जैन मन्दिर संख्या 14 के द्वार के बाहर । (ख) एक पंक्ति । (ग) संस्कृत, देवनागरी । (घ ) अज्ञात । (ङ) दाता कल्लण । 92. (क) जैन मन्दिर संख्या 15 में चार फुट एक इंच ऊँची कायोत्सर्ग तीर्थंकर मूर्ति । (ख) दो पंक्तियाँ । (ग) संस्कृत, देवनागरी । (घ) अज्ञात । (ङ) मूर्ति समर्पण का विवरण । 93. (क) जैन मन्दिर संख्या 16 के अर्धमण्डप का दायाँ स्तम्भ । (ख) चार अभिलेख । (ग) अशुद्ध संस्कृत, देवनागरी । (घ ) अज्ञात । (ङ) चार विभिन्न भक्तों द्वारा इस स्तम्भ के निमित्त किये गये दान का विवरण । 94. (क) उक्त मन्दिर के अर्धमण्डप का बायाँ स्तम्भ । (ख) पाँच अभिलेख (ग) अशुद्ध संस्कृत, देवनागरी । (घ) संवत् 1208। (ङ) विभिन्न भक्तों द्वारा इस स्तम्भ के निमित्त दिये गये दान का विवरण । 95. (क) उक्त मन्दिर के गर्भगृह का स्तम्भ । (ख) एक पंक्ति । (ग) अशुद्ध संस्कृत, देवनागरी । (घ) संवत् 1220 । (ङ) पण्डित माधवनन्दी की वन्दना का विवरण । Jain Education International For Private & Personal Use Only परिशिष्ट :: 279 www.jainelibrary.org
SR No.002774
Book TitleDevgadh ki Jain Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size10 MB
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