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________________ (तीन फुट ऊँची ) । (ख) दो पंक्तियाँ । (ग) अशुद्ध संस्कृत, देवनागरी । (घ) अज्ञात । (ङ) पाहस के पौत्र एवं जसदेव के पुत्र केशव ने यह मूर्ति स्थापित करायी । 21. (क) जैन मन्दिर संख्या तीन में स्थित पद्मासन तीर्थंकर मूर्ति (चार फुट साढ़े आठ इंच ऊँची) । (ख) एक पंक्ति । (ग) संस्कृत, देवनागरी । (घ) अज्ञात । (ङ) केवल ( प्र )तिमा शब्द अंकित है । 22. (क) जैन मन्दिर संख्या तीन में स्थित कायोत्सर्ग तीर्थंकर मूर्ति (2 फुट 6 इंच ऊँची) । (ख) दो पंक्तियाँ । (ग) अशुद्ध संस्कृत, देवनागरी । (घ) संवत् 1209 | (ङ) पण्डित शुभंकर देव, पण्डित लालदेव, आर्यिका धर्मश्री एवं साहजी के नाम उत्कीर्ण हैं । 23. (क) जैन मन्दिर संख्या तीन । (ख) तीन पंक्तियाँ । ( ग ) संस्कृत, देवनागरी । (घ) अज्ञात । (ङ) शुभदेवनाथ मुनि का वर्णन है । 24. (क) जैन मन्दिर संख्या चार के मण्डप का स्तम्भ । (ख) दस पंक्तियाँ | (ग) अशुद्ध संस्कृत, देवनागरी । (घ) संवत् 1224 । (ङ) भट्टारक साधु की वंशावली दी गयी है । 25. (क) जैन मन्दिर संख्या चार के मण्डप का दायाँ स्तम्भ । (ख) दस पंक्तियाँ । (ग) अशुद्ध संस्कृत, देवनागरी । (घ) संवत् 1207 । (ङ) आचार्य जयकीर्ति और आर्यिका नवासी के नाम उत्कीर्ण हैं । 26. (क) जैन मन्दिर संख्या चार की दक्षिणी बहिर्भित्ति में जड़ा, अभिलिखित प्रस्तरफलक। (ख) दस पंक्तियाँ । (ग) अशुद्ध संस्कृत, देवनागरी । (घ) शनिवार, अगहन सुदी चतुर्दशी, संवत् 1709 । (ङ) नेमिचन्द्र तथा उनके पूर्वजों का विवरण अंकित है । I 27. (क) जैन मन्दिर संख्या चार के ऊपर ( गुमटी में ) एक स्तम्भ ( जिस पर चारों ओर एक-एक तीर्थंकर मूर्तियाँ उत्कीर्ण हैं) के चारों ओर (ख) दो-दो पंक्तियाँ । (ग) अशुद्ध संस्कृत, देवनागरी । (घ) अज्ञात । (ङ) सर्वतोभद्र प्रतिमा । दातारों के नाम पढ़े नहीं जा सकते हैं। 28. (क) जैन मन्दिर संख्या चार में स्थित चार फुट डेढ़ इंच ऊँचा प्रस्तरफलक 1 ( जिसपर दो कायोत्सर्ग तीर्थंकर मूर्तियाँ अंकित हैं) । (ख) एक पंक्ति । (ग) अशुद्ध संस्कृत, देवनागरी । (घ ) अज्ञात । (ङ) अक्षर टूट गये हैं । अनुमानतः दाताओं के नाम होने चाहिए । 29. (क) जैन मन्दिर संख्या चार के गर्भगृह में पश्चिमी भित्ति में जड़ी हुई तीर्थंकर की माता की मूर्ति । (ख) एक पंक्ति । ( ग ) संस्कृत, देवनागरी । (घ) संवत् 10301 (ङ) संवत् 1030 के आगे उत्कीर्ण वर्ण अस्पष्ट हो गये हैं। अनुमानतः दाता का नाम होना चाहिए । Jain Education International For Private & Personal Use Only परिशिष्ट :: 275 www.jainelibrary.org
SR No.002774
Book TitleDevgadh ki Jain Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size10 MB
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