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उपाध्याय मूर्ति । (ख) ग्यारह इंच - ढाई इंच। पाँच पंक्तियाँ । (ग) संस्कृत, देवनागरी। (घ) रविवार, ज्येष्ठ वदी दशमी, विक्रमाब्द 1333 । (ङ) सालसिरि (शालश्री) एवं उदयसिरि (उदयश्री) नामक छात्राओं तथा देव नामक छात्र द्वारा श्रद्धापूर्वक इस मूर्ति के समर्पण का वर्णन। (अभिलेख
पाठ के लिए दे.-परिशिष्ट दो, अभिलेख क्रमांक 31) 3. (क) एक पत्थर की बावली के निकट रखा हुआ, किसी स्तम्भ का
खण्डित अंश। (ख) तेरह पंक्तियाँ। (ग) संस्कृत, देवनागरी। (घ) माघ शुक्ल चतुर्दशी, संवत् 1016। (ङ) श्रीमूलसंघान्तर्गत सरस्वतीगच्छ के आचार्य रत्नकीर्ति के शिष्य देवेन्द्रकीर्ति और उनके शिष्य त्रिभुवनकीर्ति
की प्रशस्ति। 4. (क) जैन मन्दिर संख्या एक के पीछे (पश्चिम में) 5 फुट 3 इंच ऊँचा
सादा स्तम्भ। (ख) दस इंच x दस इंच। नौ पंक्तियाँ। (ग) संस्कृत (अशुद्ध), देवनागरी। (घ) बुधवार, माघ सुदी दशमी, संवत् 1493 । (ङ)
महीचन्द्र द्वारा करायी गयी मूर्ति स्थापना का वर्णन। 5. (क) जैन मन्दिर संख्या एक की दीवार का शिलाफलक। (ख) पाँच
पंक्तियाँ। (ग) संस्कृत, देवनागरी। (घ) अज्ञात। (ङ) वीरनन्दी नामक
जैन मुनि की वंशावली अंकित हुई है। 6. (क) जैन मन्दिर संख्या एक के मण्डप में प्राप्त स्तम्भ-एक ओर। (ख)
दो-दो पंक्तियों के दो अभिलेख । (ग) संस्कृत, देवनागरी। (घ) ज्येष्ठ सुदी एकम, संख्या 1113 । (ङ) महीन्द्रसिंह एवं साहसिंह नामक दो दातारों के नाम आदि दिये गये हैं तथा इन दोनों को मूर्ति के पादपीठ के मध्य में
विनयावनत मुद्रा में उत्कीर्ण भी किया गया है। 7. (क) जैन मन्दिर संख्या एक के मण्डप में प्राप्त स्तम्भ-दूसरी ओर। (ख)
एक-एक पंक्ति के दो अभिलेख। (ग) संस्कृत, देवनागरी। (घ) ज्येष्ठ सुदी एकम, संख्या 1113। (ङ) साविनी और सलाखी नामक दो
महिला-दातारों के नाम अंकित हैं। 8. (क) जैन मन्दिर संख्या एक के मण्डप में प्राप्त स्तम्भ-तीसरी ओर । (ख)
तीन-तीन पंक्तियों के दो अभिलेख। (ग) संस्कृत, देवनागरी। (घ) ज्येष्ठ सुदी एकम, संख्या 1113 । (ङ) पं. अजितसिंह तथा पं. ललितसिंह नामक
दो दातारों के नाम उत्कीर्ण हैं। 9. (क) जैन मन्दिर संख्या एक के मण्डप में प्राप्त स्तम्भ-चौथी ओर। (ख)
दो-दो पंक्तियों के दो अभिलेख । (ग) संस्कृत, देवनागरी। (घ) ज्येष्ठ सुदी एकम, संख्या 1113। (ङ) श्रीसिंह और जसदेव नामक दो दाताओं के नाम अंकित हैं।
परिशिष्ट :: 273
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