SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 260
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हुआ है। उनमें से एक' पर संवत् 1210 अंकित है और दूसरे पर कोई संवत् नहीं है। चाँदपुर के संवत् 1207 (1150 ई.) के एक अभिलेख में भी उदयपाल का नाम आया है। ये दोनों उदयपाल एक ही व्यक्ति होने चाहिए। इससे, उसकी राजनीतिक स्थिति का भी परिज्ञान होता है। संवत् 1207 में वह उल्लेखनीय व्यक्ति तो रहा होगा, पर संवत् 1210 (1153 ई.) तक उसे महासामन्त का विरुद भी प्राप्त हो चुका था। सुलतान महमूद : संवत् 1503 (1446 ई.) के एक अभिलेख से ज्ञात होता है कि चन्देरी पर (देवगढ़ पर भी) मालवा के सुलतान महमूद (1435-75 ई.) का शासन था। इन्हीं दिनों जौनपुर में भी इस नाम का एक शासक था। सुलतान महमूद को यहाँ महाराजाधिराज कहा गया है। उदयसिंह-उदेतसिंह : एक अभिलेख, जिसमें संवत् 1693 (1636 ई.) और संवत् 1695 (1638 ई.) का उल्लेख है, में महाराजाधिराज उदयसिंह का नाम आया है। यहीं की 'सिद्ध की गुफा' के एक अभिलेख में उल्लिखित उदेतसिंह कदाचित यही उदयसिंह होगा। श्री हारग्रीब्ज के अनुसार, बरुवासागर का दुर्ग और सरोवर बनवाने के लिए विख्यात और उद्योत, उदोत एवं उदेतसिंह नामों से प्रसिद्ध ओरछा नरेश ही यह उदयसिंह होना चाहिए। देवीसिंह-दुर्गासिंह : ठीक इन्हीं संवतों (1693 और 1695) के उल्लेख सहित एक अन्य अभिलेख में महाराजाधिराज देवीसिंह का नाम अंकित है। 'सिद्ध की गुफा' में भी संवत् 1789 (1732 ई.) के एक अभिलेख में दुर्गासिंह के पितामह के रूप में भी यह देवीसिंह उल्लिखित है। नाहरघाटी में भी एक अभिलेख ठीक उसी दिन (वैशाख शुक्ल 9, संवत् 1789) उत्कीर्ण कराया गया था, जिस दिन 'सिद्ध की गुफा' में। इसमें भी महाराजाधिराज देवीसिंह का नाम महाराजाधिराज दुर्गासिंह के पितामह के रूप में आया है। इस अभिलेख से इतना और ज्ञात होता है कि यह देवीसिंह चन्देरी का बुन्देला शासक था। यहीं के एक सतीस्तम्भ से ज्ञात होता है कि यह शासक संवत् 1698 (1641 ई.) में चन्देरी पर शासन कर रहा था। उसे 1. मं. सं. 12 के गर्भगृह में दायीं ओर की देवकुलिका पर। 2. दे.-ए.पी. इं., जिल्द पाँच, परिशिष्ट, सं. 126, पृ. 19। 3. दे.-परि. एक, अभि. क्र. 37। 4. दे.-परि. एक, अभि. क्र. 411 5. दे.-ए.पी. आर.-1916, परि. अ. क्र. 15। 6. दे.-परि. दो, अभि. क्र. 6। 7. दे.-द्वितीय अ. में सम्बन्धित वर्णन। और भी दे.- दयाराम साहनी : ए. पी.आर., 1918, पृ. 10। 258 :: देवगढ़ की जैन कला : एक सांस्कृतिक अध्ययन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002774
Book TitleDevgadh ki Jain Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy