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विडोवपणतिका गणित
(सर्व बीवराशि रिण%3Dरिण =a/४ )
(असंख्यात लोक प्रमाण).
असंख्यात लोक के लिये ९ संदृष्टि हो सकती है, पर यहां असंख्यात लोक प्रमाण से प्रत्येक वनस्पति
बीव गशिका आशय है । जिसका प्रमाण ग्रंथकार ने, आगे,=a = प्ररूपित किया है। शेष बचनेवाली संख्या के लिए ग्रंथकार ने १३= प्रतीक दिया है। यह संदृष्टि किस आधार पर ली गई है, स्पष्ट नहीं, तथापि ९और ४ अंकों के पास होने के कारण ली गई प्रतीत होती है। सम्भवतः १३ का स्पष्टीकरण षटखेरागम पुस्तक ३ में पृष्ठ ३७२ आदि में वर्णित विवरण से हो सके।
इसके पश्चात् , साधारण बादर वनस्पतिकायिक बीवराधि
१३= द्वारा प्ररूपित की गई है वहाँ ९ असंख्यात लोक का प्रतीक है। इस राशि को १३= में पटाने पर १३= . प्रमाण राशि साधारण सूक्ष्म वनस्पति कायिक जीवराशि बतलाई गई है। यहाँ ८ का अर्थ, 'असंख्यात लोक रिण एक' है।
पुनः, साधारण बादर पर्यात बनस्पतिकायिक बीनराशि का प्रमाण प्रतीक रूपेण १२= लिया
है वहाँ ७ अपने योग्य असल्यात लोक प्रमाण राशि को मान लिया गया है। इसे १३ = में से घटाने पर प्रतीक रूपेण साधारण बादर अपर्याप्त जीव राशि १३.६ प्ररूपित की गई है। इस प्रकार अपने योग्य असंख्यात लोक प्रमाण राशि में से एक घटाने पर बो राशि प्राप्त होती है, उसे ६ द्वारा निरूपित किया गया है।
पुनः, १३= ६ का या माग साधारण सूक्ष्म वनस्पतिकायिक पर्याप्त जीवराशि तथा वां भाग अपर्याप्त बीवराशि का प्रमाण बतलाया गया है। . असंख्यात लोक प्रमाण राशि बो = = ली गई थी, वह प्रत्येकशरीर वनस्पति जीवों का प्रमाण भी है।
आगे, ग्रंथकार ने अप्रतिष्ठित प्रत्येकथरीर वनस्पतिकायिक बीवराशि को असंख्यात लोक परिमाण बतलाकर = प्रतीक रूपेण प्ररूपित किया है। इसमें चर असंख्यात लोकों का गुणा करते है तब प्रतिष्ठित बीवराशि का प्रमाण == ==a प्राप्त होता है। बादर निगोदप्रतिष्ठित प्रत्येकशरीर वनस्पतिकायिक पर्याप्त जीवराशि का प्रमाण : पृ. का. वा.
आवलि प. बीवराशि है। यहाँ प्रेथकार ने फिर से -को-नई असख्यात
असंख्यात असंख्यात लोक प्रमाण लिया है। इसलिये प्रमाण आता है। आगे, बादर निगोदप्रतिष्ठित प्रत्येकघरीर वनस्पतिकायिक अपर्याप्त बीवराशि तक का वर्णन तथा प्रतीक स्पष्ट हैं।
ति. ग, "
अथवा
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