________________
तिलोपपण्णसिका गणित
यहां लषण समुद्र का क्षेत्रफल (१०)२ [६००] वर्ग योजन है जो जम्बूद्वीप के क्षेत्रफल (१०)८३ [२५] वर्ग योजन से २४ गुणा है। धातकीखंड द्वीप का क्षेत्रफल (१०)८३ ३६००] वर्ग योजन है जो जम्बूद्वीप से १४४ गुणा है। इसी प्रकार, कालोदधि समुद्र का क्षेत्रफल [१०८३ [१६८००] वर्ग योजन है बो जम्बूद्वीप से ६७२ गुणा है तथा इस कालोदधि समुद्र का क्षेत्रफल धातकीखंड द्वीप की खंडशलाकाओं से ४ गुना होकर ९६ अधिक है, अर्थात् ६७२% (१४४४४)+ ९६ । पुनः, पुष्करवर द्वीप का क्षेत्रफल = (१०) (१०)-(१९) वर्ग योजन अथवा (१०) ३ [७२०००] वर्ग योजन है जो जम्बूद्वीप से २८८० गुणा है तथा कालोदधि समुद्र की खंडशलाकाओं से चौगुना होकर ९६४२ अधिक है, अर्थात् २८८० = (४४६७२)+२(९६) है; इत्यादि । साधारणतः यदि किसी अघस्तन द्वीप या समुद्र की संरशलाकायें Ksn' मान ली बांय बहां n' की गणना घातकीखंड द्वीप से आरम्भ हो तो, उपरिम समुद्र या द्वीप की खंडशलाकाओं की संख्या (४xKsn')+ २०'-१)(९६) होगी।
इसी गणना के आधार पर, ग्रंथकार ने, - चौगुणे से अतिरिक्त प्रमाण लाने के लिये गाथास्त्र कहा है, वो प्रतीक रूप से इस प्रक्षेप ९६ का मान निकालने के लिये निम्न लिखित रूप से प्ररूपित किया जा सकता है।
प्रक्षेप ९६- Kng'
प्रक्षप ९५- Dn
१०००
-१०००००
इस सत्र में Ken' उस द्वीप या समुद्र की खंडशलाकाएं तथा DD' विस्तार है।
गा. ५,२६३- लवण समुद्र की खंड शलाकाओं से धातकीखंड द्वीप की शलाकाएं (१४४-२४) या १२० अधिक है। कालोदधि की खंड शलाकाएं धातकीखंड तथा लवण समुद्र की शलाकाओं से ६७२-(१४४+२४) या ५०४ अधिक है। यह वृद्धि का प्रमाण (१२०)४४+२४ लिखा जा सकता है। इसी प्रकार अगले द्वीप की इस वृद्धि का प्रमाण (५०४)xx}+ (२४२४) है। इसलिये, यदि घातकीखंड से n' की गणना प्रारम्भ की जावे तो इष्ट n' वे द्वीप या समुद्र की खड शलाकाओं की वर्णित वृद्धि का प्रमाण प्रतीक रूप से (9 .)-१ }४८ होता है। यहां Dn', n' वे द्वीप या समुद्र का विष्कम्भ है। यह प्रमाण उस समान्तरी गुणोत्तर (Arithmetioo Geometric series) भेटि का n' वा पद है, जिसके उत्तरोत्तर पद पिछले पदों के चौगुने से क्रमशः २४४२" अधिक होते हैं। यद्यपि इसे Arithmetico Geometrio series कहा है तथापि यह आधुनिक वर्णित श्रेदियों से भिन्न है। Dn' स्वतः एक गुणोत्तर संकलन का निरूपण है बो ८ से प्रारम्भ होकर उत्तरोत्तर १६, ३२, ६४, १२८ आदि हैं। वृद्धि के प्रमाण को n' वा पद, मानकर बननेवाली भेटि अध्ययन योग्य है।
इस पद का साधन करने पर {(D+२०००००० ०००००१ ४८ प्रमाण प्राप्त होता है।
गा. ५, २६४ n' वें द्वीप या समुद्र से अधस्तन द्वीप समुद्रों की सम्मिलित खंड शलाकाओं के लिये ग्रंथकार ने निम्न लिखित सूत्र दिया है:
ति. ग. .
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org