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तिलोयपण्णत्तिका गणित
(गा. १, २१७-१९) (४) यवमुरज क्षेत्र-( आकृति-१२ देखिये)। यह आकृति, क्षेत्र के उदन समतल द्वारा प्राप्त छेद (Vertical Section) है। इसका विस्तार ७ राजु यहाँ चित्रित नहीं है। यहाँ मुरज का क्षेत्रफल (रा+१रा)-२}x १४रा-{१४}x१४
=३४ वर्ग राजु Statun.in
7
121
122
110
1/
3
/26
VIVOLVEVps .
गज---१५ अर्गत ल =३४७ = ४. घन राजु = २२०३ धन राजु । इसलिए, मुरज ( रा.२)xx राजु%x६% वर्ग राजु, एक यव का क्षेत्रफल = x = ३५ वर्ग राजु; इसलिये, २पा का घनफल = x =२४ घन राजु-१२२३ घन राजु ।
इस प्रक
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