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एक्कारसमो उदेसो मंदरतलमज्झादो लोगंता जा गदा उदधिवतं' । तिस्से मजमे गंठी इमं तु विज्जापदविसेस ॥ १०२ पण्णत्तरि य सहस्सा ओगाहिय सा दु होदि बोद्धव्वा । दीवम्हि समुद्दम्हि य मज्झे जो जत्थ पुच्छेज्जो'। १०३ जे कम्मभूमिजादा मच्छा मणुयाँ य पावसंजुचा । ते कालगदा संता उचेति णिरएK घोरेसु ॥ १०४ पावेण अहोलोयं पुण्णेण पुणो वि उड्ढलोगं तु । गच्छंति गरा तिरिया तिरिक्खखत्तेसु संभूया ॥ १०५ हेहा मज्झे उवरि वेत्तासणमल्लरीमुदिगणिभो। मज्झिमवित्थारेण दु चोद्दसगुणमायदो लोगो॥ १०६ लोयस्स ९ विक्खंभो चदुप्पयारेण होदि बोद्धव्वो । सत्तेक्कगो य पंचक्कगो य रज्जू मुणेयव्यो॥१०७ मुहतलसमासअद्धं उच्छेहगुणं गुणं च वेधेण । घणगणिदं जाणेज्जो वेत्तासणसंठिदें खेते ॥ १०८ भणिदो य अधोलोगो छण्णउदि सदेण होदि रज्जूणि । णिप्पण्ण उड्ढलोगो सदेण खलु सत्तदालेणे ॥ १०९
समुद्र पर्यन्त जो रज्जु गई है उसके मध्यमें जो प्रन्थि स्थित है वह तो विद्यापद विशेष है ।। १०२ ॥ यह ग्रन्थि एक हजार पचत्तर योजन अवगाहन करके द्वीप व समुद्रमें जानना चाहिये । मध्यमें जो जहां हो पूछना [ पूछकर जानना ] चाहिये (?) ॥ १०३ ॥ जो मनुष्य व मत्स्य ( तिर्यंच ) कर्मभूमिजात हैं वे पापसे संयुक्त होते हुए मृत्युको प्राप्त होकर भयानक' नरकोंमें उत्पन्न होते हैं ॥ १०४ ॥ तिर्यग्लोक ( मध्यलोक ) में उत्पन्न हुए मनुष्य व तियंच पापके वश होकर अधोलोकमें तथा पुण्यके वश होकर ऊर्ध्व लोकमें जाते हैं ॥ १०५ ॥ यह लोक नीचे, मध्यमें और ऊपर क्रमसे वेत्रासन, झल्लरी व मृदंगके सदृश है। यह मध्यम लोकके विस्तार (१ राजु ) की अपेक्षा चौदहगुणा आयत ( ऊंचा ) है ॥ १०६ ।। लोकका विस्तार [ अधोलोकके अन्तमें, मध्यलोकमें, ब्रह्म स्वर्गके अन्तमें तथा ऊर्ध्वलोकके अन्तमें कमसे ] सात, एक, पांच और एक राजु; इस तरह चार प्रकारका जानना चाहिये ।। १०७ ॥ मुख और तल ( भूमि ) को जोड़कर व उसे आधा करके फिर उंचाईसे तथा मुटाईसे गुणित करनेपर वेत्रासन सदृश क्षेत्र अर्थात् अधोलोकका घनफल प्राप्त होता है, ऐसा जानना चाहिये [ जैसे-- मुख १ राजु, भूमि ७ राजु, उंचाई ७ राजु, मुटाई ७ राजु; ( १ ७.) ४७ x ७ = १९६ राजु ] ॥ १०८ ॥ अधोलोकका धनफल एक सौ छयानबै राजु तथा ऊर्ध्वलोकका एक सौ सैंतालीस [ ( १ + ५ ) x ७ ४ ७ = १४७ ] राजु प्रमाण निर्दिष्ट किया गया है ।। १०९ ॥ मूलको मध्यसे गुणित करके जो प्राप्त
१उ उदधिअंतां, श उदधिअती. २ क इमा तु विज्जापदविसेमा. ३ उश उग्गाहिय. ४श सो दु हो विव्वो. ५ उ मज्झे जो जत्थ, श मझे जो ज जेच्छ. ६ उश माणुया. ७ उ उविति, ब उवएति, श उवितिं. ८ क गरएसु, ब णारएसु. ९ उ श अधोलोए. १० श गच्छंति गिरा तिरिक्खेनेसु. ११ ब संभूय. १२ उश चोदसगुणमायगो. १३ क ब दु १४ क सत्तेक्कगो य रज्जू. १५ क मुणेयम्वा, ब मुनेयम्वा. १६ उ श मुहतसलमोसमद्धं. १७ उ च वेधेन, शचेधेन. १८ उश जाणिज्जा. १९ कब खेतो. २० उश णिपुण्ण. २१ उ सत्तालेण, श सत्ताणेल.
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