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- ११.७०] एक्कारसमो उदेसो
[१९१ मणुसुत्तरम्मि सेले चदुसु वि य दिसासु होति चत्तारि । तुंगा विचित्तवण्णा मणिकंचणरयणपरिणामा॥" धुम्वंतधयवसाया मुत्तादामेहि मंरिया विष्वा । भिंगारकलसपउरा बहुकुसुमकयरचणसणाहा ॥ ६२ काळागहगंधड्डा संगीयमुदिंगसहगंभीरा । घंटाकिंकिणिणिवहा जिणिदईदाण वरभवणा ॥ ६३ मंदरसेलस्स वणे जिणिदईदाण पवरपासादा । जह पण्णिया असेसा तह एस्थ वि वण्णणा होइ' ॥ ६४ सत्तरससदसहस्सा चवुसद कोटी य' सत्तवीसाणि | पोक्खरवरखमझे परिरयमेदं वियाणाहि ॥ ६५ बादालसदसहस्सा वीससहस्सा सदा थेबे कोडी । माणुसखेत्तपरिरभो सविसर्स चूणवण्णा ये ॥
सधरा सधरों चदुग्गुणो होइ पुक्खरवरम्मि । वसादो वि य सो चदुग्गुणो होइ योद्धया ॥९७ विष्णेव सयसहस्सा पणवणं हाह तह सहस्साई । छच्च सदा चुलसीदा रुवं तु णगेहि दीवो ॥१८ बंसहरविरहियं खलु जं खेतं हवा पोक्खरद्धम्हि । तस्स दु छेदा णियमा बेचेव सदाणि बाराणि ॥ १९ इगिदालीससहस्सा उणासीदा सदा य पंच हवे । तेहत्तरिभागसदं अंतो भरहस्स विक्संभो ॥ ..
दिशाओंमें उन्नत, विचित्र वर्णवाले; मणि, सुवर्ण एवं रत्नोंसे निर्मित; फहराती दुई बजापताकाओंसे युक्त, मुक्तामालाओंसे मण्डित, दिव्य, मुंगार एवं कलशौकी प्रचुरतासे. संयुक्त, बहुत कुसुमसे की गई पूजासे सनाथ, कालागरुकी गन्धसे व्याप्त, संगीत एवं मृदंगके शब्दसे गंभीर, तथा घंटा व किकिणियोंके समूहसे सहित ऐसे श्रेष्ठ चार जिनेन्द्रप्रासाद हैं। जैसे पहिले मन्दर पर्वतके वनमें स्थित सब उत्तम. जिनेन्द्रप्रासादोंका वर्णन किया गया है, वैसा ही वर्णन यहां भी जानना चाहिये ॥ ६१-६४ ॥ एक करोड़ सत्तरह लाख चार सौ सत्ताईस ( ११७००४२७ ) योजन, यह पुष्कराधके मध्यमें परिधिका प्रमाण जानना चाहिये ॥६५॥ मनुष्यक्षेत्रकी परिधि एक करोड़ ब्यालीस लाख तीस हजार दो सौ उनचास (१४२३०२४९) योजनसे कुछ कम है ॥ ६६ ॥ पुष्करवर द्वीपमें पूर्व पूर्व कुलपर्वतकी अपेक्षा आगे आगेका कुलपर्वत तथा पूर्व पूर्व क्षेत्रकी अपेक्षा आगे आगेका क्षेत्र भी चौगुणा जानना चाहिये ॥ ६७ ॥ पुष्कराई द्वीप तीन लाख पचवन हजार छह सौ चौरासी योजन प्रमाण पर्वतोंसे रुद्ध है ॥६८॥ पुष्करार्द्ध द्वीपमें जो क्षेत्र कुलपर्वतोंसे रहित है उसके नियमसे दो सौ बारह (१ + ४ + १६ + ६४ + १६ + + १) ४२% २१२) खण्ड हैं ॥ ६९ ॥ इकतालीस हजार पांच सौ उन्यांसी योजन और एक सौ तिहत्तर भाग (४१५७९३५३) प्रमाण मरतक्षेत्रका अभ्यन्तर विष्कम्भ है ॥७०॥ भरतक्षेत्रका
उश इत्य वि वण्णणोइ. २ उश कोटि य, क कोडीउ. ३ उ बादल, श बाहुल. ४ श सदसहस्सा सदा य. ५ उश सविसेमुगुणपवणा य. ६ क श णायव्वा. ७ उश तह य सहस्साई.८ उशचया. ९उकश छेदो.
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