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णवमो उद्देसो
जाणादुमगणगहणो बहुदेवसमाउलो' परमरम्मी । तण्णामदेवसहियो दीहीपोक्वरणिरमणीभो ॥१५॥ पुग्वेण तवी गंतुं होह पुणो गंधमालिणी विजमो । वरगंधसालिपउरो पुडवणेहि संकणो ॥ १५. पुण्णउदिगामकोरीहि मंरिमो विविधण्णणिवहेहि । छब्वीससहस्सेहि प ागरणिवहेहि संघणो ॥ १५. घडवीससहस्सेहि य कम्बडणिवहेहि मंडिमो दिग्यो । भडदालसहस्सेहि प पट्टणपवरेहि कपसोहो । १५९ दोणामुहेखि प तहा णवणडदिसहस्सएहि संजुत्तो । चत्तारिसहस्सेहि य मरंवणिवहेहि रमणीयो ॥१९. चोइसपसहस्सेहि संवाहवरेहि भूसियो देसो । दुगुणटुसहस्सेहि य खेडाहि य मंरिमो पवरो ॥" पप्पण्णरयणदीवेहि मंरिमो विविहरयणणिवहेहिं । मागधवरवणुएहि प पभासदीवेण रमणीमो ॥१९॥ रत्ताणदीए जुत्तो रत्तोदाएण' तह प रमणीमो । गोवह गिरिणा सहिलो विज्जाहरसेलसंजुत्तो ॥१॥ देसम्मि सम्मि मोहोड भवम् ति णामदो गयरी । कंचणपवालमरगयकक्केयणरयणघरणिवहा ॥ बारहसहस्सरत्येहि मंडिया विविहरयणणिवहेहि । चच्चरचडक्कएहि सहस्ससखेहि रमणीया ॥ १६५ गोउरवारसहस्सा कंचणमणिरयणमंडिया दिग्या । तोरणदारा गेया पंचेव सया दुणयरीए ॥१६॥
देवोंसे व्याप्त, अतिशय रमणीय, उसके ( अपने ) नामवाले देवसे सहित और दीर्षिकाओं एवं पुष्करिणियोंसे रमणीय है ॥ १५४-१५६ ।। उससे पूर्वकी ओर जाकर गन्धमालिनी देश है। यह देश उत्तम गन्धवाली प्रचुर शालि धान्यसे संयुक्त, पाड़ा व ईखके वनेंसे व्याप्त, अनेक प्रकारके धान्यके समूहोंसे संयुक्त ऐसे छयानबै करोड़ प्रामोंसे मण्डित, छब्बीस हजार आकरोंके समूहोंसे व्याप्त, चौबीस हजार कर्बटसमूहोंसे मण्डित, दिव्य, अड़तालीस हजार श्रेष्ठ पट्टनोंसे शोभायमान, निन्यानबै हजार द्रोणमुखोंसे संयुक्त, चार हजार मटंबोंके समूहोंसे रमणीय, चौदह हजार उत्तम संवाहोंसे भूषित, द्वगुणित आठ हजार (१६०००) खेडोसे मण्डित, श्रेष्ठ, विविध प्रकारके रत्नसमूहोंसे युक्त ऐसे छप्पन रत्नद्वीपोंसे मण्डित; मागध, वरतनु एवं प्रभास द्वीपोंसे रमणीय; रक्का नदीसे युक्त, तथा रक्तोदा नदीसे रमणीय, वृषभगिरिसे सहित, और विद्याधरशैल (विजया पर्वत ) से संयुक्त है ॥१५७-१६३ ॥ उस देशके मध्यमें अवघ्या नामकी नगरी है । यह दिव्य नगरी सुवर्ण, प्रवाल, मरकत एवं कर्केतन रस्नोंक गृहसमूहसे युक्त; विविध प्रकारके रत्नसमूहोंसे संयुक्त ऐसे बारह हजार रथमागोंसे मण्डित, एक हजार चत्वरी- चतुष्पोंसे रमणीय, एक हजार गोपुरद्वारोंसे सहित, तथा सुवर्ण मणि एवं रत्नोंसे मण्डित है । उस नगरीमें पांच सौ तोरणद्वार जानना चाहिये । सुवर्णमय प्राकारसे युक्त,
१ बहुमवणसमाउलो. २ उ वोहि, श वरोहि. ३ उश पट्टणणिवहेहि. ४ उ श बीवोहि..५५ रखोदाएहि.
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