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-९. ८३]
णवमो उद्देसो
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णामेण विगयसोगा वरणारी होइ तस्स देसस्स । मणिरयणभवणणिवहा कंचणपासादरमणीया ॥ ७५ ससिकतवेदिणिवहाँ मरगयबरतोरणेहि रमणीया । धुम्वंतधयवडाया जिणभवणविहूसिया दिग्वा ॥ ७६ तत्तो भवरदिसाए कणयमया वेदिया समुहिट्ठा । बेकोससमुत्तुंगा पंचेव धणुस्सया विउला ॥ ७. तत्तो भवरदिसाए देवारण हवे समुद्दिढे । णाणादुमगणगहर्ण बहुभवणसमाउळ रम्म ॥ ७८ पणदालीस सहस्सा सोझा रासी भवट्ठिया होइ । मणवहिदा य सेसा सोहणरासी समुट्ठिा ॥ ७९ सत्तावीससहस्सा बेचेव सया य सत्तणउदा य । सोहम्मि य परिसुद्धं सेसं मटेहि पविहत्तं ॥ ८० जं लद्धं णायग्वा विजयाणं तह य होइ विक्खंभ । अवरस्त विदेहस्स य समासो होइ णिहिट्ठो ॥ ८१ तेयालीससहस्सा सोज्झम्मि य सोहिऊण अवसेसं । चउभजिएण य लई वक्खाराणं तु विक्खमं ॥२ चउदालीससहस्सा छमधेव सया तहेव' पणुवीसा । सोमम्मि सुद्धसेसं तिहि भजिए होइ सरियाणं ॥ ८३
उस देशको राजधानी विगत (वीत ) शोका नामकी उत्तम नगरी है । यह नगरी मणियों एवं रत्नोंके भवनसमूहसे सहित, सुवर्णमय प्रासादोंसे रमणीय, चन्द्रकान्त मणिमय वेदीसमूहसे युक्त, मरकतमय उत्तम तोरणोंसे रमणीय, फहराती दुई बजा-पताकाओंसे संयुक्त, दिव्य और जिनमवनोंसे विभूषित है ।। ७५-७६ ॥ उससे पश्चिम दिशामें जाकर सुवर्णमय वेदिका कही गई है। यह वेदिका दो कोश ऊंची और पांच सौ धनुष विस्तृत है ॥ ७७ ॥ उससे पश्चिम दिशामें नाना वृक्षोंसे गहन और बहुतसे भवनोंसे व्याप्त रमणीय देवारण्य कहा गया है ॥७८ ॥ पैंतालीस हजार शोध्य राशि अवस्थित है, शेष शोधन राशि है जो अनवस्थित कही गई है ॥ ७९ ॥ सत्ताईस हजार दो सौ सत्तानबै [ (५००x४) + (१२५४३) +२९२२+२२००० = २७२९७ ] को शोध्य राशिमेंसे कम करके शेषको आठसे विभक्त करनेपर जो लब्ध हो उतना ( १५०००-२७२९७ ८ = २२१२१ ) अपर विदेहके विजयोंका विष्कम्भ जानना चाहिये, ऐसा संक्षेपसे निर्दिष्ट किया गया है ॥ ८०-८१ ॥ शोध्य राशिमेंसे तेतालीस हजारको घटाकर शेषको चारसे भाजित करनेपर जो लब्ध हो उतना [१५००० -(१७७०३ + ३७५ + २९२२ + २२०००) ४ = ५००] वक्षारोंका विष्कम्भ होता है ॥ ८२ ।। चवालीस हजार छह सौ पच्चीसको शोध्य राशि से घटाकर शेषको तीनसे माजित करनेपर नदियोंके विष्कम्मका प्रमाण [ १५०००- (१७७०३ + २०००+२९२२ + २२०००) ३ = १२५] होता है ॥ ८३ ॥ न्यालीस हजार
बवेदणिवहा. २उश अणवट्ठियाए सेसा. ३ उश सोहम्मि य परिसुदं, बसोमम्मि दु परिसिवं. ४ व होइ तह य विक्संभा. ५ ब हु. ६ उश होह ति णिहिटो. ७ व चहुमजिणेण य पेयं नक्साराणं. ८ व तह य.
बं.बी. २..
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