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अमोउसो
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पणुवीससमहिरेया' जोयणस्य होई तह य भायामं । जोयणविक्खंभेण य तोरणदाराण परिसंखा ॥ ५२ वरतोरणेसु या देवाण तेसु होंति नगराणि । पासादसंकुष्ठाणि य जिणभवणमयाणि सब्वाणि ॥ ५३ काणणवणजुत्ताणि यदीहियपोक्खरणिवाविपडराणि । सुरसुंदरिणिवहाणि य वणवेदी तोरणमयाणि ॥ ५७ पुवेण तदो गंतु णामेण य पुक्खला समुद्दिद्वा । [ 'देखो जणाइणिहणो छत्खंडविसिनो दिग्वो ॥ ५५ कृष्णवत्रिको डिएहिं गामेहिं समाउला परमरम्मो ] छब्बीससहस्सेहि य णगरेहि विहूसिभो पवरो ॥ ५६ खेडेहि मंडिमो सो सहस्स तह सोलसेहि दिब्वेहि । चडवीसस हस्लेहि य कब्बडपवरेहि संकृष्णो ॥ ५७ रिसहस्सेहिय मडर्वेणिवहदि मंडियो दिग्वो । वरपट्टणेदि जुत्तो भडदाकसहस्सगुणिदेहि ॥ ५८ वणवदिसहस्सेहिय बहुविदोणामुद्देहिं संजुतो । संवादेहि य रम्मो' चउदसम सहगुणिदेहि ॥ ५९ मागभवरतणुवेदि य पभासदीवेण भूसिभो देसो । छप्पण्णासेहि तहा रयणादीवेहि" कयसोहो ॥ ६० देसम्म होइ नगरी णामेण य भोसधि त्ति विक्खाया । कंधणपासावेंजुदा जिणभवणविडूलिया रम्मा ॥ ६१ पायारसंपरिउडा वरतोरणमंडिया परमरम्मा । विस्थिण्णस्खादिजुत्ता वणसंडविहूलिया दिग्वा ॥ ६२
उत्तम तोरणोंपर
वन से युक्त; परिपूर्ण और
एक सौ पच्चीस योजन और विष्कम्भ एक योजन है ।। ५९ ।। उन प्रासादों से व्याप्त देवोंके नगर हैं । सब नगर जिनभवनोंसे संयुक्त, कानन व दीर्घिका, पुष्करिणी व वापियोंकी प्रचुरता से सहित, सुरसुन्दरियों के समूह से वन, वेदी एवं तोरणोंसे युक्त हैं ।। ५३-५४ ॥ उसके पूर्वमें जाकर पुष्कला नामका देश कहा गया है । यह दिव्य देश अनादि-निधन, छह खण्डोंसे विभूषित, ध्यानबे करोड़ ग्रामोंसे व्याप्त, अतिशय रमणीय, छब्बीस हजार नगरोंसे विभूषित, श्रेष्ठ, सोलह हजार दिव्य खेड़े से मण्डित, चौबीस हजार श्रेष्ठ कर्बटोंसे व्याप्त चार हजार मर्टबों के समूह से मण्डित, दिग्य, अड़तालीस हजार उत्तम पट्टनोंसे युक्त, निन्यानबे हजार बहुत प्रकारके द्रोणमुखोंसे संयुक्त, चौदह हजार संबाहों से रमणीय; मागघ, वरतनु एवं प्रभास द्वीपोंस भूषित, तथा छप्पन रत्नद्वीपोंसे शोभायमान है ।। ५५-६० ॥ इस देशमें औषधि नामसे विख्यात नगरी है। यह सुवर्णमय प्रासादोंसे युक्त, जिनमत्रनोंसे विभूत्रित, रम्य, प्राकारसे वेष्टित, उत्तम तोरणोंसे मण्डित, अतिशय रमणीय, विस्तीर्ण खातिका से युक्त, वनखण्डोंसे विभूषित, दिव्य, बहुत से मन्य
१ उश समभिरेया, व समहिरेहिय. २ कोधकस्थोऽयं पाठ उ-शप्रस्योनोपलभ्यते । ३ उ रा पउरोहि. ●प व मंडल ५श मुनिदेहि . ६ प व बहूहि ७ प वे संवाहणेहि रम्मो. ८ उ प व श चउदस सयमस्स. ९ प ब बरसणएहि य पमासबेसेण 10 उश हृप्पण्णसएहि तहा रमणीदीवेडि० ११ उ. श पासा.
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