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अमूदीवपण्णत्ती
मनमो विशुपणामयस्स पुग्वेण । मंदरदक्षिणपासे देवकुरू हो जायया ॥ ८॥ कोपितों विचित्तकोप पम्पदो पपरो । एक्कं च कंचणसयं णियमा तस्य मुणेयम्या' ॥ ८१ जिसपर परमो देवकुलदहो तहेव विदिमा प। सूरदहो य गेया सुरसादह विजुतेको प ॥ ८३
जोवणसदा वित्विण्णा दसय हॉति उग्वेधा। जोयणसहसायामा सम्वाहा होति णायवा ॥ सीदीवापणदीप तत्व का पंच होति णायब्वा । मेरुस्स सामलीको दक्षिणपछिमे होइ ॥ ८५ सस्से पर णायम्वा भट्ट जायणाणं हैं । णामेण वेणुदेवो तस्थ य गहमाहिवो बस ॥ ६ . जिसमायो' गंतूर्ण सहस्स तह जोयणा दु उत्तरदो । सीदोदाउभयतडे चित्तविचित्ता जमा होति ॥ ... एखाणं तर पंचव सयाणि जोयणा गेया। जोयणसहस्सतुंगा सहस्सविस्थार मुलेसु ॥ ८ सससदा पण्णासा मज्झेसु हवति विस्था सेला। पंचेव जोयण सिहरेसुहवंति नायम्वा ॥९ अबगाहा सेलाणंदेचे सया हवंति पण्णासा। णाणामगिपरिणमा भोवमा स्वसंठाणा ॥ ९. बरवेदिएहि जुत्ता मणितोरणमंडिया मणभिरामा । वजिवणीलमरगयणागाविहरयणसंडपणा ॥९॥
विषयम नामक गजदस्तके पूर्व और मन्दर गिरिके दक्षिण-पार्श्व भागमें देवकुरु स्थित है ।। ८१ ।। महा नियमसे एक चित्रकूट व दूसरा विचित्रकूट ये दो श्रेष्ठ यमक पर्वत तथा एक सौ कंचन पर्यत जानना चाहिये ।। ८२ ॥ प्रथम निषध द्रह, द्वितीय देवकुरु द्रह, सूर द्रह, सुरस (सलस) बस और वियुत्तेज, ये पांच द्रह जानना चाहिये । सत्र द्रह पांच सौ योजन विस्तीर्ण, दश योजन उद्वेधसे सहित और एक हजार योजन आयत जानना चाहिये ॥ ८३-८५ ।। ये पाच दह वहां सीतोदाके प्रणिधि भागमें जानना चाहिये । मेरु के दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य) में शाल्मलि वृक्ष है ॥ ८५॥ उसकी उंचाई आठ योजन प्रमाण जानना चाहिये । वहापर वेणुदेव नामक गरुड़कुमारोंका अधिपति निवास करता है ॥ ८६ ॥ निषध पर्वतके उत्तर एक हजार योजन जाकर सीतोदा नदीके उभय तटोंपर चित्र और विचित्र नामके यमक पर्वत है ॥ ८॥ एक एक पर्वतका अन्तर पांच सौ योजन प्रमाण जानना चाहिये । ये शेख एक हजार योजन ऊंचे तथा मूलमें एक हजार योजन, मध्यमें सात सौ पचास योजन चौर शिखरोंपर पांच सौ योजन प्रमाण विस्तृत हैं ॥ ८८-८९ ॥ इन शैलोंका अबगाह दो सौ पचास योजन प्रमाण है। ये पर्वत नाना माणियोंके परिणाम रूप, अनुपम रूप न भाकारसे सहित, उत्तम वेदियोंसे युक्त, मणिमय तारणोंसे मण्डित, मनको अभिराम, तपा पा, इन्द्रनील व मरकत रूप नाना प्रकारके रत्नोंसे व्याप्त हैं ।। ९०-९१ ।। नाना मणियोंसे
शा. ५पद ताव.
शएको पिण्डहो. २५ मुणेयम्बो. ३५ सुलसरह. पवारसयामा. महजोयश गो. ८ उश गिसिकायो.
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