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-१. २१.]
विदिओ उसो भवसप्पिणिम्मि का तहेव उपसप्पिणिम्मि कामम्मि । उप्पजंलि महप्पा तेसहिसलागवरपुरिसा n... होऊण भौगम्मी भट्टारसउवडिकोडिकोडीया। भरहक्खंडविभागं मच्छदि कालाणुभावेण'.९ भाजिर्य भजियमहर्ष बपुणम्भवं भय विमलणाम । वरपउमणविणमियं वंदे मजरामर बरुवं .
॥य बबुरीवपण्णत्तिसंगहे भरहेरावयंवसवण्णणो णाम विदिको सो समतो॥१॥
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अवसर्पिणी तथा उत्सर्पिणी काळमें तिरेसठ शलाकामहापुरुष उत्पन्न होते हैं ॥२०८॥ अठारह कोडाकोडि सागर प्रमाण काल तक भोगभूमि होकर (शेष दो कोडाकोडि सागरोपममें] भरतखड. विभाग कर्मभूमिस्वरूपसे स्थित होता है ॥ २०१॥ जिनका माहात्म्य अजित अर्थात् जीता नहीं गया है और जो पुनर्जन्मसे रहित, अद्भुत निर्मल ज्ञानके धारक, उत्तम पद्मनन्दि मुनिसे वन्दित, तथा अजर व अमर होकर रोगसे रहित हैं; उन अजितनाथ भगवान्को में नमस्कार करता हूं ॥ २१० ॥ ॥ इस प्रकार जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसंग्रहमें भरत-ऐरावतक्षेत्रवर्णन नामक द्वितीय उदेश समाप्तामा ॥२॥
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१५ कलाथमावेण [ कामाशमावेण ]. २ इश अदुयं.
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