SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 168
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विषय भवनवासी और व्यन्तरोंके आवास इन पृथिवियोंमें तथा भवनवासी व व्यन्तर देवोंकी आयु आदिका उल्लेख रत्नप्रभादि पृथिवियोंमें स्थित नरकका अवस्थान व संख्या पृथिवीक्रमसे नरक प्रस्तारोंकी संख्या व नाम नरकों में उत्पन्न होने के कारणों व वहांके दुःखका वर्णन रत्नप्रभादि पृथिवियोंमें स्थित नारकियोंकी उत्कृष्ट आयुका प्रमाण विविध क्षेत्रोंसे नरकोंमें उत्पन्न होने वाले जीवका उल्लेख द्वीप - सागर संख्या अढ़ाई द्वीप व स्वयम्भूरमण द्वीपको छोड़कर शेष असंख्यात द्वीप समुद्रोंमें उत्पन्न हुए तिर्ये चोंका स्वरूप विमलादिक इन्द्रक विमानोंका उल्लेख इकतीसर्वे पटलका वर्णन प्रभ विमानका वर्णन सौधर्म इन्द्रका वर्णन विमानोंका विस्तार व आकृति सौधर्म इन्द्रकी आयु आदिका वर्णन सौधर्म इन्द्रकी देवियांका वर्णन सौधर्म इन्द्रके परिवारदेवों का वर्णन ईशान इन्द्रका वर्णन शेष इन्द्रक पटलोंका नामोल्लेख विमानोंका अन्तर आदि वैमानिक देवोंके शरीरोत्सेध व आयुका प्रमाण सुरालयमै उत्पन्न होनेवाले मनुष्य तिर्यचका उल्लेख ईषत्प्राग्भार पृथिवीका वर्णन विषयानुक्रमणिका Jain Education International गाथा १२३ १८६ अढ़ाई द्वीपमें उत्पन्न मनुष्य-ति ये चौकी गति १९० ऋतु विमानका वर्णन १९३ २०२ १३७ १४२ १४५ १५६ १७८ १७९ १८३ २१३ २२५ २३० २४४ २५० २५८ २७० ३०९ ३२८ ३४४ ३४६ ३५६ ३५९ विषय चन्द्र विमानका वर्णन सूर्य आदि विमानोंके वाहक देवोंकी संख्या जंबूद्वीपादिकमें चन्द्रोंकी संख्याका निर्देश आगे के द्वीप - समुद्रों में चन्द्रसंख्याके लानेका विधान उद्देशान्त मंगल ३६.५ १२ बारहवां उद्देश (पृ. २२३-२३४ ) नमिनाथको नमस्कार कर ज्योतिष पटलके कथनकी प्रतिज्ञा पुष्करवर समुद्रको आदि लेकर नंदीश्वर द्वीप पर्यन्त चन्द्रसंख्याके क्रमका उल्लेख आगे द्वीप समुद्रों में भी उक्त क्रमका निर्देश सूर्य, तारा, ग्रह और नक्षत्रोंकी संख्या के क्रमका उल्लेख असंख्यात द्वीप - समुद्रों में समस्त चन्द्रसंख्याके लानेका विधान १५१ ज्योतिषी देवोंके भवनोंका वर्णन ज्योतिष राशिके लानेका विधान पांच प्रकारके ज्योतिषी देवकी पृथक् पृथक् समस्त संख्या लाने के गुणकारोंका निर्देश समस्त ज्योतिषियोंकी संख्या ज्योतिषी देवोंका अवस्थान चन्द्रादिकोंकी आयुका प्रमाण चन्द्रमण्डलादिकों के विस्तारका प्रमाण ताराओंका अन्तरप्रमाण सूर्यों व चन्द्रोंके अन्तरका प्रमाण मेरुसे ज्योतिषी देवोंका अन्तर जंबूद्वीपकी अपेक्षा दुगुणी दुगुणी ज्योतिष संख्याका निर्देश एक चन्द्रका परिवार For Private & Personal Use Only • गाथा १ २ ११ १३ १६ २१ ३३ ३४ ३६ ७४ ७६ ८७ ८९ ९२ १०४ जंबूद्वीपमें स्थिर ताराओंकी संख्या १०५ जंबूद्वीपादिकमें चन्द्र-सूर्योकी संख्याका निर्देश १०६ जंबूद्वीपमें संचार करनेवाले ज्योतिषियों की अलग अलग संख्याका निर्देश ९५ ९७ १०० १०१ १०३ १०८ १०९ www.jainelibrary.org
SR No.002773
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year2004
Total Pages480
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Mathematics, & agam_jambudwipapragnapti
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy