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जंबूदीवपण्णत्तिकी प्रस्तावना विषय गाथा विषय
गाथा दहोंके पूर्व-पश्चिम पार्श्वभागोंमें स्थित
कच्छा आदि इन विजयोंकी विशेषताका १०.१० कंचनशैलोंका वर्णन
दिग्दर्शन सीता नदीका समुद्रप्रवेश
नील पर्वतके पासमें कच्छा विजय सम्बन्धी सुदर्शन नामक जंबू वृक्षका वर्णन
वण्डोंके विस्तार आदिका प्रमाण ७३ देवकुरुका अवस्थान
कच्छा विजयस्थ वैताव्यका वर्णन दो यमक पर्वतों, १०० कंचन पर्वतों और
वैताम्यके मूलमें कच्छाखण्डौका विस्ताप्रमाण ८४ ५द्रहोंका निर्देश
८२ रक्ता-रक्तोदा नदियोका विस्तार शाल्मलि वृक्षका अवस्थान
सीता नदीके तटपर कच्छास्यण्डोंका विस्तारचित्र और विचित्र नामक यमक पर्वतोंका
प्रमाण वर्णन
८७ रक्ता-रक्तोदा नदियोंका कुण्डोंसे निर्गम और निषधद्रह आदि ५ द्रहोंका वर्णन ११८ सीतानदीमें प्रवेश द्रहोंमें रहनेवाली निषधकुमारी आदि
तोरणद्वारोंकी उंचाई आदिका उल्लेख .. ५ देवियोंका वर्णन
१३४ मागध, बरतनु और प्रभास द्वीपोंका उल्लेख १०४ द्रहों के दोनों पार्श्वभागोंमें स्थित १०-१०
कच्छा विजयके वण्डोंका विभाग ___ कंचन शैलोंका १४४ चक्रवर्तियों की विशेषता
१११ स्वाति नामक शाल्मलि वृक्षका वर्णन १४८ चक्रवर्तियोंकी दिग्विजयका वर्णन ११५. उत्तरकुर और देवकुरु क्षेत्रोंमें उत्पन्न हुए
ऋषभ शैलको देखकर चक्रवर्तीके मानमर्दनका मनुष्योंका वर्णन
निर्देश
१४८ उद्देशान्त मंगल
१७८ उद्देशान्त मंगल - ७ सातवां उद्देश (पृ. ११८-१३३)
८ आठवां उद्देश (पृ. १३४-१५३) श्रेयांस जिनको नमस्कार करके विदेह क्षेत्रके विमल जिनेन्द्रको नमस्कार करके पूर्व विदेहके कथनकी प्रतिज्ञा
कथनकी प्रतिज्ञा महाविदेह क्षेत्रका अवस्थान व विस्तार आदि
चित्रकूट पर्वतका वर्णन मेरुका विस्तार और आयाम
सुकच्छा विजयका अवस्थान २ वनखण्डौं, ४ देवारण्यों, ८ वेदिकाओं,
क्षेमपुरीका वर्णन १२ विभंगानदियों, १६ वक्षारों, ३२
ग्रहवती विभंगानदी - विजयों और ६४ गंगा-सिंधू नदियोंके
महाकच्छा विजय आयामका निर्देश
अरिष्ट नगरी कमसे इन सबके विस्तारप्रमाणका निर्देश
पद्मकूट पर्वत इच्छित विजयादिकोंके अभीष्ट विस्तारके
कच्छकावती विजय जाननेका विधान
अरिष्टपुरी कच्छा विजयका वर्णन
द्रहवती विभंगानदी कच्छाविजयस्थ क्षेमा नगरीका वर्णन
आवर्ता विजय क्षेमा नगरीके राजा (चक्रवर्ती) का वर्णन
खड्गा नगरी
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