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जंबूदीवपण्णत्तिकी प्रस्तावना विषय . गाथा
विषय
गाथा नदीकुण्डस्थ प्रासादोंकी सुंदरताका दिग्दर्शन १७० मेरुकी पार्श्वभुजाका प्रमाण गंगा नदीका कुण्डद्वारसे निकलकर समुद्र में
भद्रशाल वनका वर्णन प्रवेश
भद्रशाल वनमें स्थित ४ जिनभवनोंका समुद्रप्रवेशमें गंगादि नदियोंके तोरणद्वारोंकी
वर्णन उंचाई आदिका प्रमाण
१७६ नन्दीश्वरद्वीपस्थ ५२ जिनभवनोंका इन तोरणद्वारोंकी सुंदरताका वर्णन
विस्तारादि तोरणद्वारोंपर स्थित प्रासादाम रहनेवाली
शेष ३ वनोंमें स्थित जिनभवनोंका देवियों का वर्णन
१८७ विस्तारादि पूर्व व अपर समुद्रमें प्रविष्ट होनेवाली
शेष मेरुओं सम्बन्धी जिनभवनोंका उल्लेख नदियोंका निर्देश
मंदरवनों में स्थित सच जिनभवनों की संख्याका गंगादि नदियों के प्रवाहके विस्तार व
निर्देश करके उनका कुछ विशेष वर्णन ६८ उंचाईका प्रमाण
आठ दिग्गजेन्द्र पर्वतोंका वर्णन भरतादि क्षेत्रोंमें स्थित नदियोंकी संख्या १९६ मंदर पर्वतकी प्रथम श्रेणिका निर्देश नदियोंके सोपानों और वनोंका वर्णन
२०० नन्दनादि वनों में स्थित सोमादिक लोकपालोंके हैमवत आदि क्षेत्रोंमें स्थित वृत्त वैताड्क्यों
चार चार भवनोंका नामोल्लेख आदि (नाभिगिरि) का वर्णन
बलभद्रकुटका वर्णन हैमवत आदि क्षेत्रोंकी दक्षिण-उत्तर जीवाओंका
नन्दनवनमें स्थित ८ टोके नाम व उनका निर्देश
२२८
विस्तारादि द्वीपके दक्षिण-उत्तर भागोंके स्वामी सौधर्म
कूटगृहों में निवास करनेवाली दिक्कन्याव ईशान इन्द्रोंका उल्लेख
२३३
कुमारियोंका उल्लेख हैमवत व हैरण्यवत तथा हरिव रम्यक
नन्दनवनकी विदिशागत वापियोंका वर्णन क्षेत्रों में प्रवर्तमान कालोंका निर्देश करक
सौमनस वनका वर्णन
१२६ भोगभूमियोंका वर्णन
२३४
पाण्डुक बनके मध्यमें स्थित चूलिकाका अन्तिम मंगल
२४५ विस्तारादि
१३२ . ४ चतुर्थ उद्देश (पृ. ५७-८६)
चूलिकाके ऊपर बालाग्र मात्रके अन्तरसे ऋतु आद्य मंगलपूर्वक सुदर्शन मेरुके कथनकी
विमानका अवस्थान
१३६ प्रतिज्ञा
पाण्डुक वनमें स्थित ४ शिलाओं के नाम व लोकका स्वरूप
विस्तार आदिका वर्णन मंदर पर्वतकी उंचाई आदिका वर्णन
२१ जिनजन्माभिषेक महोत्सवमै सपरिवार मंदर पर्वतकी सुंदरताका वर्णन
__ आनेवाले इन्द्र के पारिषद और ७ अनीक कटि, शिर और कायका लक्षण
देवों का वर्णन मेरुके इच्छित आयाम, परिधि और क्षेत्रफल
लोकपाल व आत्मरक्ष देवोंका उल्लेख २५० - निकालनेके करणसूत्र
ऐरावण हाथीका वर्णन
२५३ मेमकी परिधियोंका प्रमाण
ईशानादि शेष इन्द्रोंका आगमन
२७१
२०९ ।
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