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________________ श्रेणिक पुराणम् जिस समय कुमार ने निपुणमती के वचन सुने और जब नखभर तेल देखा तो उनके मन में गहरी चिन्ता हो गई। वे मन-ही-मन यह कहने लगे कि यह न कुछ तेल है इसको सर्वांग में लगा कर स्नान कैसे किया जा सकता है ? मालूम होता है सुगन्ध के लोभी भ्रमरों से चुम्बित, एवं उत्तम, यह थोड़ा तेल मेरी बुद्धि की परीक्षा के लिए कुमारी नन्दश्री ने भेजा है। तथा ऐसा क्षणेक भली प्रकार विचारकर गुरुओं के भी गुरु कुमार ने अपने पाँव के अंगूठे से जमीन में एक उत्तम गड्ढा खोदा। और मुंह तक उसको जल से भरकर दीर्घ नख धारण करनेवाली सखी निपुणमती से कहा कि हे उन्नत स्तनी सुभगे! तू इस जल के भरे हुए गड्ढे में नख में भरे हुए तेल को डाल दे ॥५६-६२।। गम्यमानां तगः प्रेक्ष्य बभाण वचनं नृपः । क्वास्ते तन्मंदिरं बाले बद विज्ञानकोविदे ॥ ६३ ॥ सबालाभरणं काणं प्रदर्श्य विनयोन्नता । सागता मंदिरे रम्ये विकसन्नयनोत्पला ॥ ६४ ॥ अचीकथत्कृतः सर्वं तज्जंनंदश्रियं च सा। आकर्ण्यति जगौ तन्वीजनकं विस्मिताशयं ॥ ६५ ।। कुमार श्रेणिक की इस प्रकार आज्ञा पाते ही अति स्नेह की दृष्टि से कुमार की ओर देखकर और मन-ही-मन में अति प्रसन्न होकर निपुणमती ने जल से भरे हुए उस गड्ढे में तेल छोड़ दिया। और अनेक प्रकार की कलाओं में प्रवीण वह चुपचाप अपने घर की ओर चल दी। निपुणमती को इस प्रकार जाते हुए देखकर कुमार ने पूछा कि हे अबले ! सेठी इन्द्रदत्त का घर कहाँ और किस जगह पर है? किन्तु कुमार के इस प्रकार के उत्तम प्रश्न को सुनकर भी निपुणमती ने कुछ भी जवाब नहीं दिया और विनययुक्त वह निपुणमती के कान में स्थित ताल-वृक्ष के पत्ते का भूषण दिखाकर चुपचाप चली गई ॥६३-६५॥ धीरोऽयं तात विज्ञेयो गुणी विज्ञानपारगः । यच्चेतसि जगत्सर्वं प्रफुल्येत न संशयः ।। ६६ ॥ कोविदत्वं कलावित्वं समस्ति न च संशयः । आकारणीय एवात्र त्वया तूर्णं सपुण्यधीः ॥ ६७ ॥ जिह्वारथादि वाक्यः स चिक्रीड महता त्वया । प्रकटीकृतमेवात्र दाक्षिण्यं तेन वा त्वयि ॥ ६८ ॥ प्रथिलत्वं न मूर्खत्वं न तस्मिन् शुभशंकिनः । गुणाः किंतु च वर्तते स्वभावोत्था; मनोहराः ॥ ६६ ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002771
Book TitleShrenika Charitra
Original Sutra AuthorShubhachandra Acharya
AuthorDharmchand Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size18 MB
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