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श्रेणिक पुराणम्
स एष निपुणो ज्ञेयो विद्वज्जनमनोहरः । नानाक्रिया कलापूर्णो नानाशास्त्रपरायणः ॥ ४२ ॥ करिष्याम्यथ भो तात परीक्षां तच्छरीरजां। क्वास्ते वद विचारज्ञः सोऽसाधारणसद्गुणः ॥ ४३ ॥ आस्ते बहिस्तडागस्य तटे रूपी युवा स हि । प्रोवाचेति वचः श्रेष्ठी तच्चित्ताकर्षणक्षमम् ॥ ४४ ॥
पिता के मुख से कुमार श्रेणिक द्वारा की हुई चेष्टाओं को सुनकर बुद्धिमती नंदश्री ने जवाब दिया कि हे पिता! उस कुमार को जो उपर्युक्त चेष्टाओं से आपने पागल समझ रखा है सो वह कुमार पागल नहीं है, किंतु वह अत्यंत चतुर एवं अनेक कलाओं में निपुण है ऐसा निःसंशय समझिए क्योंकि जो उस कुमार ने आपको मामा कहकर पुकारा था उसका मतलब यह था कि संसार में भानजा अत्यंत माननीय एवं प्रिय होता है इसलिए मामा कहने से तो उस कुमार ने आपके प्रेम की आकांक्षा की थी।
जिह्वारथ का अर्थ कथा कौतूहल है। कुमार ने जो जिह्वारथ कहा था वह भी उसका कहना बहुत ही उत्तम था क्योंकि जिस समय सज्जन पुरुष मार्ग में थक जाते हैं उस समय वे उस थकावट को अनेक प्रकार के कथा-कौतूहलों से दूर करते हैं। कुमार का लक्ष्य भी उस समय थकावट के दूर करने के लिए ही था। तथा जो कुमार नदी के जल में जूते पहनकर घुसा था वह काम भी उसका एक बड़ी भारी बुद्धिमानी काथा क्योंकि जल के भीतर बहुत से कंटक एवं पत्थरों के टुकड़े पड़े रहते हैं, सर्प आदिक भी रहते हैं। यदि जल में जूता पहनकर प्रवेश न किया जाए तो कंटक एवं पत्थरों के टुकड़ों के लग जाने का भय रहता है। सर्प आदि जीवों के काटने का भी भय रहता है । इसलिए कुमार का जल में जूता पहनकर घुसना सर्वथा योग्य ही था। तथा हे पिता! कुमार वृक्ष की छाया में जो छत्री लगाकर बैठा था उसका वह कार्य भी एक बड़ी भारीबुद्धिमानी को प्रकट करनेवाला था क्योंकि वृक्ष की छाया में जो छत्री लगाकर न बैठे जाने पर पक्षी आदि जीवों की बीट गिरने की सम्भावना रहती है इसलिए वृक्ष की छाया में छत्री लगाकर बैठना भी कुमार का सर्वथा योग्य था। तथा अति मनोहर नगर को देखकर कुमार ने जो आपसे यह प्रश्न किया था कि हे मातुल ! यह नगर उजड़ा हुआ है कि बसा हुआ ? उसका आशय भी बहुत दूर तक था क्योंकि भली प्रकार बसा हुआ नगर वही कहा जाता है, जो नगर उत्तम धर्मात्मा मनुष्यों से जिन प्रतिबिम्ब, जिन चैत्यालय एवं उत्तम यतीश्वरों से अच्छी तरह परिपूर्ण हो। किन्तु उससे भिन्न नगर उजड़ा हुआ कहा जाता है। इसलिए यह नगर बसा हुआ है अथवा उजड़ा हुआ? यह प्रश्न भी कुमार का विचार परिपूर्ण था।
तथा हे पिता ! स्त्री को मारते हुए किसी पुरुष को देखकर जो कुमार ने यह स्त्री बँधी हुई है अथवा खुली हुई है ? आपसे यह प्रश्न किया था वह प्रश्न भी उसका अत्युत्तम प्रश्न था क्योंकि बँधी हुई स्त्री विवाहिता कही जाती है और छूटी हुई का नाम अविवाहिता है। कुमार का प्रश्न भी इसी आशय को लेकर था कि यह स्त्री इस पुरुष की विवाहिता है अथवा अविवाहिता है ?
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