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________________ श्रेणिक पुराणम् १७९ सुन्दरी ! मंडप में जाकर तूने यह अति निंद्य एवं नीच काम क्यों कर डाला? अरे! यदि तेरी बौद्ध धर्म पर श्राद्ध नहीं है। बौद्ध साधुओं को तू ढोंगी साधु समझती है तो तू उनकी भक्ति न कर । यह कौन बुद्धिमानी थी कि मंडप में आग लगा तूने उन बेचारों के प्राण लेने चाहे । कांते! जो तू अपने जैन धर्म की डींग मार रही है, सो यह तेरी डींग अब सर्वथा व्यर्थ मालम पड़ती है। क्योंकि जैन सिद्धान्त में धर्म दया-प्रधान माना गया है। दया उसी का नाम है जो एकेन्द्रिय से पंचेन्द्रिपर्यंत जीवों की प्राण-रक्षा की जाय। किंतु तेरे इस दुष्ट बर्ताव से उस दयामय धर्म का पालन कहाँ हो सका? तूने एकदम पंचेन्द्रिय जीवों के प्राण विघात के लिए साहस कर डाला यह बड़ा अनर्थ किया। अब तेरा हम जैन हैं, हम जैन हैं, यह कहना आलाप मात्र है इस दुष्ट कर्म से तुझे कोई जैनी नहीं बतला सकता। महाराज को इस प्रकार अति कुपित देख रानी चेलना ने बड़ी विनय एवं शांति से इस प्रकार निवेदन किया कृपानाथ ! आप क्षमा करें। मैं आपको एक विचित्र आख्यायिका सुनाती हूँ। आप कृपया उसे ध्यानपूर्वक सुनें। और मेरा इस कार्य में कितने अंश अपराध हुआ है। उस पर विचार करें ॥६-१०८॥ वत्सदेशोऽस्ति विख्यातो विशिष्टजनपूरित । समस्ति निगमैः पूर्णो विस्तीर्णो गुणिभिर्जनः ॥१०६।। पुरी नरकृतावासा कौशांबी तत्र राजते । राजद्राजनिकायाढ्या शुभाढ्यदृढपूरिता ॥११०॥ तच्छास्तावृषपाकेन वसुपालोबभूव च । वसुधारप्रदानेन कल्पवृक्षायते च यः ॥११॥ यशस्विनी ति सन्नाम्ना महिषी योषितां गुणैः । यशस्विनी सुविख्याता तस्याभून्मृगलोचना ॥११२।। श्रेष्ठी सागरदत्ताख्या आस्ते सागरवर्द्धनी । गंभीरो गणवान्वीरो राजमान्यो विदांवरः ॥११३।। भार्या वसुमती तस्य तन्मनः पद्मचंद्रमा । चारुवक्त्रा विचारज्ञा तन्वंगी कठिनस्तनी ॥११४।। तत्रैवास्ते धनी चान्यः श्रेष्ठी श्रेष्ठक्रियाग्रणीः । समुद्रदत्त इत्याख्य: कांता सागरदत्तिका ॥११॥ एकदा श्रेष्ठिनौ द्वौ च हसंतौ तिष्ठतो मुदा । एकत्रस्नेहवृद्धयर्थं तदाख्यद्दिवतीयो वणिक् ॥११६॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002771
Book TitleShrenika Charitra
Original Sutra AuthorShubhachandra Acharya
AuthorDharmchand Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size18 MB
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