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________________ १४६ श्रीशुभचन्द्राचार्यवर्येण विरचितम् तिस्त्रोऽन्यदा महाकन्याश्चित्रकारं समाप्य च । बभाण तत्र ज्येष्ठा च प्रहस्य चित्रकृच्चेलनारूपं यथोक्तं पट्टके कुरु पश्यामि कलां आकर्ष्णेति ततस्तेन गृहीत्वा पट्टे पद्माप्रसादेनाऽलेखि गुह्यस्थानादिदेशेषु विलिख्य कृतकौतुका ॥ २२ ॥ चेलवर्जितम् । विज्ञानपारगां ॥ २३ ॥ लेखिनीं वरां । रूपं यथाभवं ।। २४ ॥ तिलकादिकलक्षणं । दर्शयामास तद्रूपं संसार में जो लोग सात माता कहकर पुकारते हैं । और उनकी भक्ति भाव से पूजा करते हैं । सो अन्य कोई सात माता नहीं । इन्हीं कन्याओं को बिना समझे सात माता मान रखा है। यह सात माता का मिथ्यात्व उसी समय से जारी हुआ है । संसार में अब भी कई स्थानों पर यह मिथ्यात्व प्रचलित है । Jain Education International मृत्युबर्द्धकं ।। २५ ।। सातों कन्याओं में राजा चेटक की चार कन्या विवाहिता थीं। प्रथम कन्या का विवाह नाथवंशीय कुण्डपुर के स्वामी महाराज सिद्धार्थ के साथ हुआ था । द्वितीय कन्या मृगावती नाथवंशीय वत्स देश में कौशांबीपुरी के स्वामी महाराज नाथ के साथ विवाही गई थी । तथा तृतीय कन्या जो कि वसुप्रभा थी उसका विवाह राजा चेटक ने सूर्यवंशीय दशार्ण देश में हेरकच्छपुर के स्वामी राजा दशरथ को दी थी । एवं चतुर्थ कन्या प्रभावती का विवाह कच्छ देश में रोरूकपुर के स्वामी महाराज महातुर के साथ हो गया था। बाकी अभी तीन कन्या कुमारी ही थीं । कदाचित् ज्येष्ठा को आदि ले तीनों कन्या चित्रकार भरत के पास गईं। और उन सबमें बड़ी कुमारी ज्येष्ठा ने हँसी-हँसी में चित्रकार से कहा भरत ! हम जब तुझे उत्तम चित्रकार समझें । कुमारी चेलना का जैसा रूप है, वैसा ही इसका वस्त्ररहित चित्र खींचकर तू हमें दिखावे । कुमारी चेलना का वस्त्र रहित चित्र खींचना भरत के लिए कौन बड़ी बात थी ? ज्योंही उसने ज्येष्ठा के वचन सुने, चट अपने सामने पट रखकर हाथ में लेखनी ले ली। और पद्मावती देवी के प्रसाद से जैसा कुमारी चेलना का रूप था । तथा जो-तो उसके गुप्तांगों में तिल आदि चिह्न थे, वे ज्यों-के-त्यों चित्र में आ गये । तथा चौखटा वगैरह से उस चित्र को अति मनोहर बना शीघ्र ही उसने ज्येष्ठा को दे दिया ।। १७-२५।। कर, अजीजनत्तदा कथं पुत्री ज्येष्टा चिंतापरायणा । बुद्धमहोगुप्तं For Private & Personal Use Only तिलकादिकलक्षणम् ॥ २६ ॥ www.jainelibrary.org
SR No.002771
Book TitleShrenika Charitra
Original Sutra AuthorShubhachandra Acharya
AuthorDharmchand Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size18 MB
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