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________________ श्रेणिक पुराणम् १२६ किसी को यह पता भी नहीं लगता था कि पुत्र वसुदत्ता का है या वसुमित्रा का ? बालक को भी कुछ पता नहीं लगता था। वह दोनों को ही अपनी माँ मानता था। किंतु ज्योंही सेठ समुद्रदत्त का शरीरांत हुआ वसुदत्ता और वसुमित्रा में झगड़ा होना प्रारंभ हो गया। कभी तो उन दोनों की लड़ाई धन के लिए होने लगी। और कभी पुत्र के लिए। वसुदत्ता तो यह कहती थी यह पुत्र मेरा है। और उसकी बात को काटकर वसुमित्रा यह कहती थी-यह पुत्र मेरा है। गाँव के सेठसाहकारों ने भी यह बात सुनी। वे सेठ समुद्रदत्त की आबरू का ख्याल कर उनके घर आये। सेठसाहूकारों ने बहुत-कुछ उन स्त्रियों को समझाया। उन्हें सेठ समुद्रदत्त की प्रतिष्ठा का भी स्मरण दिलाया। किंतु उन मूर्खा स्त्रियों के ध्यान पर एक बात न चढ़ी। धन-संबंधी झगड़ा छोड़ वे पुत्र के लिए अधिक झगड़ा करने लगीं। पुत्र का झगड़ा देख सेठ-साहूकारों की नाक में दम आ गया। वे ज़रा भी इस बात का फैसला न कर सके कि वह पुत्र वास्तव में किसका था? तथा इस रीति से उन दोनों स्त्रियों में दिनोंदिन द्वेष वृद्धिगत होता चला गया ॥११-१३।। नगरश्रेष्ठिभिर्लोकार्यमाणेन तिष्ठतः । ततस्ते भूपति प्राप्याऽचीकथतां मनोगताम् ॥ १४ ।। राज्ञा निवार्यमाणे तेन वित्तश्च परस्परम् । भेदं कर्तुं न शक्नोति विवादस्य नृपस्तयोः ॥ १५ ॥ आदिदेश ततो भूपः कुमारं मंत्रिसत्यदम् । तद्भेदनकृते सोऽपि यतते बहुचेष्टितैः ।। १६ ॥ भेदयन्नपि तद्भेदं कर्तुं विविधवेष्टितः । नाशक्तः स यदा तावबालं भूमौ न्यविक्षिपत् ॥ १७॥ आकृष्य छुरिकां धीमान् करेण कृतकौतुकः । बालस्योपरि संस्थाप्य तामित्याह वचस्तके ॥ १८ ॥ उभाभ्यामर्द्धमद्धं च शिशो स्यामि निश्चितं । विवादहानये बाले विवादः कोऽत्र निर्णये ॥ १६ ॥ वसुमित्रा ततो वादीदित्थं मा कुरु सज्जन । देहि त्वं वसुदत्तायै मामकीनः सुतो न हि ॥ २० ॥ अस्यास्तनुजवायमस्मिन् स्नेहप्रदर्शनात् । नान्यथेति विवेदासौ बुद्धितः शिशुमातरं ।। २१ ॥ ज्ञात्वा प्रकथ्य लोकानां जनन्यादिककारणम् । निश्चित्य वसुदत्तां न ददौ तस्यै लघीयसे ॥ २२॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002771
Book TitleShrenika Charitra
Original Sutra AuthorShubhachandra Acharya
AuthorDharmchand Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size18 MB
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