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________________ १०६ श्रीशुभचन्द्राचार्यवर्येण विरचितम् वापिकानयनं लोके न श्रुतं श्रूयते नहि । कथं कुर्मो वयं विप्रा निर्नाशिनस्वपत्तनाः ।। ७१ पुनः कुमार सान्निध्यं प्रापुस्ते बुद्धिवंचिताः । किं कुर्म इति सत्प्रश्ने कुमारो वचनं जगौ ।। ७२ ।। महाराज की आज्ञा पाते ही दूत चला। और नन्दिग्राम में पहुँचकर शीघ्र ही उसने ब्राह्मणों से कहा-हे विप्रो! महाराज ने नन्दिग्राम से एक बावड़ी राजगृह नगर मँगाई है। आप लोगों को यह कड़ी आज्ञा दी है कि आप उसे शीघ्र पहुँचा दें। नहीं तो तुम्हें नन्दिग्राम से जाना पड़ेगा। दूत के मुख से महाराज की ऐसी कठिन आज्ञा सुन, नन्दिग्राम निवासी विप्र दांतों में उँगली दबाने लगे। वे विचार करने लगे कि अबकी महाराज ने कठिन अटकाई। बावड़ी का जाना तो सर्वथा असम्भव है। मालूम होता है महाराज का कोप अनिवार्य है। अब हमें नन्दिग्राम में रहना कठिन जान पड़ता है। तथा क्षणेक ऐसा विचार कर वे सब मिलकर अभयकुमार के पास गये । और सारा समाचार उन्हें जाकर कह सुनाया ॥७१-७२।। यूयं चितां जहीताशु निद्रालौभूपतौ पुनः । प्रेषणं संविधातव्यं दीपिकाया महीभृतम् ।। ७३ ।। ततः स्वपत्तनेऽन्यस्मिन् पुरे वृषभसत्कुलम् । लुलायाः करभा गावो महिष्यः पशवोऽखिलाः ॥ ७४ ॥ यावन्तः पतने संति ताबतां युगकंधरे । यानवक्त्रं विधातव्य मा राजगृहमंदिरात् ॥ ७५ ॥ आपत्तनं पशश्रेणि युगरूपेण चक्रिके। निद्रालुं भूपति मत्वा ते गता तत्र वाड़वाः ॥ ७६ ॥ ततस्तूर्यादि सन्नादः कुर्वंतो व्याकुलं जगत् । शयिते भूपतौ सर्वे प्रविष्टा राजकेतनम् ॥ ७७ ॥ निद्राकांतं नृपं सर्वेऽवोचन् राजन् सुवापिका । आनीता मंदिरे रम्ये यथाज्ञाक्रियते द्विजैः ।। ७८ ।। ब्राह्मणों के मुख से बावड़ी का भेजना सुनकर, और नन्दिग्राम निवासी ब्राह्मणों को चिंता से ग्रस्त देखकर, अभयकुमार ने उत्तर दिया। हे विप्रो ! यह कौन बड़ी बात है ! आप क्यों इस छोटी-सी बात के लिए चिंता करते हैं ? आप किसी बात से ज़रा भी न घबरायें। यह विघ्न शीघ्र ही दूर हो जायेगा। आप एक काम करें, आपके गाँव में जितने घर, बैल एवं भैंसें हों उन सबको इकट्ठा करो। सबके कंधों पर जूआ रखवा दो और नन्दिग्राम से राजगृह तक उनको Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002771
Book TitleShrenika Charitra
Original Sutra AuthorShubhachandra Acharya
AuthorDharmchand Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size18 MB
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