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स..............म..............र्प............ण
प. पू. प्रातः स्मरणीय, परम श्रद्धेय,
मम जीवन उद्धारिका, मातृहृदया,
शासनज्योति, शासनउत्कर्षिणी, शतावधानी,
गुरुवर्या श्री मनोहरश्रीजी म. सा. को
- जिनकी सतत प्रेरणा से यह ग्रंथ संपूर्ण हुआ -
उनके चरणकमलों में सविनय
सविधि कोटी कोटी वंदन सह
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III
- श्री मनोहरचरणरज स्मितप्रज्ञाश्री
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