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________________ राजा ने कहा मंत्री महोदय कल मैं आपको लेने के लिए रथ भेजूंगा। उसमें बैठकर आप राजसभा में पधारना ! राजा प्रसन्न होता हुआ वापिस महलों मे आ गया। दूसरे दिन लोगों को खूब मजा आने वाला था। सभी मंत्री बहुत खुश थे कि आज तो पेथड़ मंत्री को राजा पदच्युत कर देगें! मंत्री मुद्रा छीन लेगें। “तमाशे को तेडा नहीं'तमाशा होता है वहां किसी को बुलाना नहीं पड़ता स्वयं ही भीड़ इकट्ठी हो जाती हैं। राज्यसभा में खूब भीड़ इकट्ठी हो गई। राजा सिंहासन पर बैठ गया। वीतराग प्रभु के दर्शन ने पासा पलट दिया। पेथड़ मंत्री का रथ राज्य सभा में आकर रूका। राजा सिंहासन से उठ गये और मंत्री को आदर सहित लाकर सिंहासन पर अपने समीप बैठाया। सभी देखते रह गये यह क्या / क्या होने वाला था क्या हो गया। सबके मुंह उतर गये। उसी समय सभी के बीच राजा ने मंत्री को सर्वोपरि पद दिया साथ में अमुक, अमुक राज्य तथा रहने के लिए महल भी अलग से दिया। साथ में इर्ष्यालु मंत्रियों को पदच्युत करने की घोषणा जाहिर की ! लेकिन पेथड़ मंत्री के कहने से रोक दिया। धड़ मंत्री की भक्ति इतनी प्रबल थी कि यदि उनके पूजा का वस्त्र किसी बीमार व्यक्ति के ऊपर डाल दिया जाता तो वह बीमारी से मुक्त हो जाता था। उनके वस्त्रों में भी इतनी ताकत थी। हमें भी इसी प्रकार की भक्ति करके आत्म स्वरूप को पहचानना हैं। हमने आज दिन तक क्या किया-बच्चों को पैसे दिये, पत्नि को गहनों से सजाया, ऑफिसरों के चरणों में माथा टेका तथा उनको खिलाया पिलाया, मेहमानों को मीठा भोजन कराया इसके बदले में सिर्फ हमको दुर्गति मिली चिकने कर्म बन्धन हुए आत्मा को दीर्घ काल के लिए संसार में घूमाया है। अब सावध बनाना है रागीओं के बदले वीतराग को सम्भालना है / रागीओं की प्रसन्नता से वीतराग की उदासीनता प्रचंड ताकातवाली है। Jain Education Internation@rivate & Personal Usewowy.jainelibrary.org
SR No.002767
Book TitleManohar Dipshikha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusmitashreeji
PublisherVichakshan Prakashan Trust
Publication Year1997
Total Pages12
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size5 MB
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