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________________ है। मंत्री जी नहीं मिलेगें। सैनिको ने कहा मंत्राणी जी राजा का हुक्म हैं कि अभी-अभी पेथडकुमार को राजा जी ने बुलाया है। मंत्राणी ने कहां अभी पेथड़ मंत्री नहीं मिलेगें कह देना राजा साहब को। सैनिक देखते रहे गये। एक औरत की इतनी हिम्मत कह दिया मंत्रीजी नहीं मिलेगें ! वापिस राजा के पास आ गये और समाचार कह दिया कि मंत्री जी तो नहीं मिले उनकी पत्नी थी उसने कहां मंत्री महोदय इस समय नहीं मिलेंगे।यह सुन कर राजा को बहुत गुस्सा आया। अहंकार और अभिमान ने दबोच लिया राजा को / राम चरित मानम में कहां है कि “सत्ता, प्रभुता कांहि मद नांहि ॥"सत्ता और प्रभुता मिलने पर मद यानि अभिमान आये बिना नहीं रहता। प्रभु वीतराग की भक्ति अभय पद को देने वाली है। नमुत्थुणं के पाठ में आता है। "चक्खुदयाणं, अभयदयाणं' जिनेश्वर देव अभय को देने वाले है। वीतराग की वाणी मार्ग बताती है यानि सर्च-लाईट का कार्य करती है, मैन रोड़ पर ला कर खड़ा कर देती हैं। दौड़ना या चलने का कार्य अपना हैं। राजा आवेश आवेश में रथ में सवार होकर पहुंच गया मंत्री के घर / मंत्राणी ने राजा का खूब आदर सत्कार किया बंधाया घर में प्रवेश कराया। लेकिन राजा तो आवेश में ही था पूछा मंत्राणी मंत्री कहां है मुझे उससे मिलना हैं। मंत्राणी ने कहां राजन् ! मंत्रीजी अभी आपको नहीं मिलेगें। आज हमारे घर कोई सरकार का व्यक्ति आ जाये तो कितना डर लगता है। सामने नहीं आते छिप जाते है। मंत्राणी में इतनी निर्भीकता कहां से आई। वीतराग प्रभु की पूजा सेवा से / राजा को और भी तेज़ गुस्सा आने लगा। मंत्राणी मंत्री मिलेगा नहीं तो गया कहां पर हैं। राजन् स्थान बता सकती हूँ परन्तु वहां भी इस समय मंत्री जी आपसे नहीं मिलेंगे। स्थान बता दिया। इतना होने पर भी मंत्राणी को डर नहीं भय नहीं। एक नारी में इतनी हिम्मत / राजा हाथ में नंगी तलवार लेकर रवाना हो गया। मंदिर तक पहुंच गया सीढ़ियां चढ़ने लगा आवेश कम होने लगा। परमाणुओं में Jain Education Internation@rivate & Personal Usewowy.jainelibrary.org
SR No.002767
Book TitleManohar Dipshikha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusmitashreeji
PublisherVichakshan Prakashan Trust
Publication Year1997
Total Pages12
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size5 MB
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