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________________ इतने घनिष्ठ मित्र रहे है हमेशा साथ में रहते हैं। परन्तु इतने खराब विचार आज दिन तक नहीं आये। निकल पड़े। पैसे व्यर्थ गये। मेनेज़र से मिले कहां? कैसे रूम में हमे ठहराया वहां तो बुरे-बुरे विचार आते है। मेनेज़र ने कहां मैंने तो तुमको मना की थी कहीं रुकने की जगह नहीं है परन्तु तुमने कहां हमें तो एक रात रहना है कोई छोटा सा रूम ही दे दो! इस रूम में थोड़े समय पहले दो-तीन व्यक्ति रुके थे। रात्रि में पैसे के कारण झगड़ा हुआ झगड़े-झगड़े में एक का खून कर दिया और रूम का ताला लगा कर, चले गये। दो दिन बाद बदबू आने लगी, खून बाहर आने लगा ताला तोड़ा तब पता चला कि अन्दर लाश पड़ी हुई है। यही कमरा साफ करके आपको दिया गया था। मित्रों को पता चला कि बुरे परमाणु कमरे में व्याप्त थे इसी लिए हमारे मन में बुरे विचार आये। परमाणु में अनन्त शक्ति होती हैं। खून के परमाणु इसलिए मारने का विचार आया। ज्ञानी पुरुष इसीलिए मन्दिर जाने का कहते है। तीर्थयात्रा करने का कहते हैं। पालीताणा जाओ। वहां पर कांकरे कांकरे सिद्ध हुए है। तो परमाणु कैसे होगे शुभ! धार्मिक स्थानों में कहीं भी जाओगें वहां के परमाणु शुद्ध ही होंगे। लड़के वहां से निकलकर दूसरे जगह पहुंच गये। रूम मांगा। रूम में पहुंचते ही अच्छी भावना जागी। अपने गांव में एक छोटा सा मंदिर निर्माण करवा दें। आराधना साधना में जीवन बिताये। आत्मा के लिए कुछ करें। आज दिन तक शारीरिक क्रिया कलापों में समय बर्बाद किया है। मैनेजर को पूछा ? हमको जिस रूम में ठहराया है इससे पूर्व इस रूम मे कौन ठहरा था? मैनेज़र ने कहां आपसे पूर्व इस रूम में एक बहुत बड़े संत को ठहराया था। कितने ही लोग उनके दर्शन करने आते थे। प्रवचन होता था। गाड़ियों की कतारे लगी रहती थी। संत महात्मा भौतिक साधनों से परे थे। सिर्फ आत्मा का ही उपदेश देते थे। गति से प्रगति की ओर जाना है। केवल आत्मज्ञान की अवस्था बन जाये। ऐसी अवस्था ज्ञानी की होती है। मंदिर उपासरा का कार्य पुण्य बन्धन है / ये शुद्धता में Jain Education Internation Private & Personal [email protected]
SR No.002767
Book TitleManohar Dipshikha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusmitashreeji
PublisherVichakshan Prakashan Trust
Publication Year1997
Total Pages12
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size5 MB
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