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________________ वापिस लेने आ गया। सुरेश को उठाया और मंत्री चावी लेकर चला गया। सुरेश कुछ भी प्राप्त नहीं कर सका / खाली की खाली रहा। एक दिन का राज्य मिलने पर भी समय को नाहने-धोने खाने-पीने और सोने मे बर्बाद कर दिया। ज्ञानी बार-बार कहते है अवसर बार-बार नहीं आता। फिर भी मोहरूपी अन्धकार में डूबे हुए है! दूसरे दिन प्रातः काल होते ही 6 बजे मंत्री ने दिनेश को चाबी सौंप दी / क्योंकि अब दिनेश की बारी थी। उसको भी मंत्री ने कहां कि साम को 6 बजे चावी वापिस ले ली जायेगी। दिनेश ने अवसर का लाभ उठाया ! चावी हाथ में आते ही भंडारो के ताले खुलवा दिये / चारो तरफ़ मंदिर, उपाश्रय, कुएं, धर्मशाला, दानशालाएं खुलवा दी। एक साथ रकम देकर Order दे दिया। पूरे नगर को सजाया गया। और स्वयं ने हाथी की अम्बाड़ी पर बैठ कर दान देता हुआ पूरे लवाजमें के साथे में पूरे नगर की परिक्रमा की। समय से पूर्व मंत्री के हाथ में चाबियां सौंप दी। एक दिन के अन्दर इतनी पुण्याई एकत्रित कर ली। पूरी प्रजा उसका गुणगान करने लग गई !इधर मित्र राजा भी बहुत खुश हुआ। दिनेश की कुशाग्र बुद्धि को देखते हुए राजाने उसे मंत्री पद पर नियुक्त किया। “अवसर बार-बार नहीं आता"इस वाक्य को दिनेश ने समझा कि यह चाबियां बार बार हाथ आने वाली नहीं है / इसलिए सदुपयोग कर लिया 'पुण्य का उपार्जन कर लिया।'सुरेश ने इस वाक्य को नहीं समझा पूरा दिन नाहने-धोने, खाने-पीने और सोने में बर्बाद कर दिया।उठ जाओ, जाग जाओ, अवसर की पहचान कर लो। पहरेदार घड़ियाल पर टकोरे लगाते है। हमें जागृत करते है प्रतिपल, प्रतिक्षण आयुष्य के टकोरे पड़ रहे है समय बीतता जा रहा है। यह अनमोल मनुष्य जन्म अति दुर्लभ है। दुबारा मिलने वाला नहीं। अवसर मिला है इसका सदुपयोग करलो। “अवसर बार-बार नहीं आता।" *** Jain Education InternationBrivate & Personal Usevamiy.jainelibrary.org
SR No.002767
Book TitleManohar Dipshikha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusmitashreeji
PublisherVichakshan Prakashan Trust
Publication Year1997
Total Pages12
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size5 MB
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