________________ लड़का जिसका नाम दिनेश था उस पर भी संकट आया तो उसने सोचा मैं भी मित्र के पास जाऊं वह मेरी मदद अवश्य करेगा। वह भी रवाना हो गया। रास्ते में ब्राह्मण का लड़का तथा बनियां का लड़का मिले दोनों ने एक दूसरे को अपनी हकीकत बताई और राजकुमार के पास सहायतार्थ रवाना हुए ! नगरी में पहुंच गये / महल के द्वार पर आ गये द्वारपाल को कहां कि राजकुमार को कहो कि तुम्हारे बचपन के मित्र सुरेश और दिनेश आये है। द्वारपाल ने राजकुमार को समाचार दिया। राजकुमार अब राजा बन गया था। राजा ने कहां द्वारपाल फौरन दोंनो को मेरे पास ले आओं! थोड़े ही समय में दोंनो मित्र राजा के पास आ गये। राजा ने देखा स्थिति बहुत नाजुक है कहो मैं तुम्हारी क्या मदद करूं आपको जो चाहिए वह मांग सकते है। यहां तक मैं अपने बचनानुसार एक दिन का राज्य भी देने को तैयार हूँ। सुरेश और दिनेश ने एक-एक दिन का राज्य लेना स्वीकार कर लिया। प्रथम ब्राह्मण मित्र की बारी थी / प्रातःकाल होते ही 6 बजे मंत्री ने राज्य की चांबी सुरेश को दे दी और कहां कि साम के 6 बजे चावियां वापिस ले ली जायेगों / ब्राह्मण मित्र सुरेश ने सर्व प्रथम स्नान घर में प्रवेश किया। देखता रह गया। कितने प्रकार के तेल, कितने प्रकार के साबुन कितने प्रकार के सेन्ट आदि साम्रगी है। एक घंटे तक तेल की मालिश करवाई पश्चात् अच्छा साबुन लगा-लगा कर स्नान किया। तीन घन्टे तक शरीर की सजावट की। चार घंटे व्ययतीत हो गये। शरीर को सजाने के पश्चात खाने का समय हो गया। ब्राह्मणों को लड्डू बहुत प्रिय होते है इसलिए भोजन में बादाम, पिस्ता के लड्डू तैयार हुए थे। सुरेश ने खूब लड्डू खाये। बिचारा कितने दिन का भूखा था आज पेट भर कर खाया वह भी कितना स्वादिष्ट भोजन / खाने के पश्चात घेन आने लगी। विश्रामगृह में पहुंच गया। पलंग पर मखमल का गलीचा बिछा हुआ था। जाते ही सो गया। गहरी नींद आ गई ! उठा ही नहीं इससे पूर्व मंत्री चाबी Jain Education Internation Private & Personal Usev@mily.jainelibrary.org