________________ अपनी शक्ति अनुसार एक दूसरे की मदद करेंगे! राजा के लड़के ने कहा कि तुम्हारे ऊपर जब भी कोई संकट आये मेरे पास बेहिचक आ जाना मैं तुम्हारी अवश्य मदद करूंगा। यहां तक कि एक दिन का राज्य भी दे दूंगा। तीनों ने यह बात मान्य कर ली। तीनों अपने-अपने गांव चले गये। अलग अलग धन्धा करने लगे। मर्गानुसारी के 35 के गुण में बताया जाता है कि कैसे जीना कैसे कमाना न्यायोपार्जित धन / अन्याय से नहीं, काला बाज़ार से नहीं न्याय से धन उपार्जित करना चाहिए / व्यवहार कैसा करना। यहां तो थोड़ा धन प्राप्त कर लिया तो धनवान बन गये अहं आ गया। कुछ ज्ञान आ गया तो ज्ञानी बन गये। नहीं। पता है धनेश्वरी कहीं नरकेश्वरी न बन जाये। खुट गयो तेल ने, बुझ गई बत्तियां काया मंदिर में, पड्यो अंधेरो सुन्दर वर काया छोड़ चल्यो वणझारों....” / खस गयो थम्मों ने, पड़ गई भीतियां मिट्टी में मिल गयों गारों रे .....सुन्दर वह काया...॥ कितना भी नहलाओं, सज़ाओं परन्तु एक दिन लकड़ियों की भेंट हो जायेगा ! लकड़ियों में जल जायेगा / राख बन जायेगी कुंछ नजर नहीं आयेगा। विज्ञान सभी शक्तियों का मालिक है। मानव के पूरे ढांचे को प्लास्टिक सर्जरी से बदल देता है। लेकिन मन को बदलने की शक्ति आज दिन तक विज्ञान ने पैदा नहीं की है। तीनो मित्र अपने अपने गांव में आराम से रहने लगें। समय ने बदलाव किया। ब्राह्मण की हालत दीन बन गई। ब्राह्मण का लड़का जिसका नाम सुरेश था वह दर-दर का भिखारी बन गया। अचानक विचार आया कि राजकुमार मित्र रणजीत ने वायदा किया था कि कोई भी संकट आये मेरे पास आ जाना मैं तुम्हारी मदद करूंगा। रवाना हो गया मित्र के नगर की ओर ! इधर बनिया का Jain Education Internation@rivate & Personal Usewowy.jainelibrary.org