________________ में लेकर घड़ी की तरफ देखते जा रहे हैं / इतने में अवसर आ गया योग का समय हुआ ब्राह्मण देवता ने एक हुंकार किया, दूसरा हुंकारा किया, तीसरा हुंकार किया तो ब्राह्मणी बोली डाल दूं क्या ? समय निकल गया। ब्राह्मण जी बोले पूछती क्या है डाल दे लेकिन समय तो निकल गया हाथ से ! भगोने में उबलते पानी पर जवारी डाली तो क्या हुआ मोती की जगह घूघरी बन गई। ब्राह्मण देवता माथा पीट कर रह गये। ___ इधर दीवार के सहारे कान लगा कर सेठानी सब सुन रही थी। उसने तो तीसरे हुंकारे की आवाज होते ही जवार डाल दी, मोती बन गयें। बहुत खुशी हुई। शेठानी ने मन में विचार किया मुझे यह मोती ब्राह्मण देवता के प्रताप से मिले है इसीलिए मुझे थोडे मोती ब्राह्मण देवता को देने है। कटोरे में मोती लेकर ब्राह्मण के घर पहुंची और कहां पण्डित जी आपके प्रभाव से मुझे मोती प्राप्त हुए है आप स्वीकार करें। ब्राह्मण जी ने कहां ब्राह्मणी को कितना मना किया फिर भी बात कह दी। कहावत सत्य है औरतों के पेट में बात नहीं टिकती है।"ब्राह्मणी ने कहां तो सेठानी ने जवार के मोती बना लिए लेकिन ब्राह्मणी की जवार तो घूघरी बन कर रह गई। क्योंकि समय चूक गया। अवसर गया, चला गया, वापिस नहीं आनेवाला है। सत्यता, नित्यता को विचारे नैतिकता का रक्षण करें। ज्ञान का सदुपयोग करें दुरुपयोग नहीं। जितने मार्ग प्रामाणिक है वहां जाये / सोचे, समझे / होगा जो हो जायेगा। महल का मालिक भी जीता है और झोंपडी का मालिक भी जीता है। जीना कैसे वह जानता है। तीन मित्र थे। एक राजा का लड़का, एक बनिया का लड़का और एक ब्राह्मण का लड़का। तीनों धनिष्ठ मित्र थे। एक साथ पढते, खाते-पीते, उठते-बैठते थे। तीनों की पढाई पूरी हुई तो एक दूसरे से जुदा होने का समय आया तीनों को खूब दुःख हुआ अब हम अलग हो जायेगें। तीनों ने आपस में विचार किया कि एक दूसरे पर संकट आयेगा तो Jain Education Internation Private & Personal Usev@mily.jainelibrary.org