________________ 64 "यह भी चला जायेगा।"व्यक्ति मंत्र को लेकर रवाना हो गया / अब तो वह सभी जगह मंत्र को सामने रखता है। दूकान पर बैठता है, व्यापार करता है, गाड़ी में बैठता है, बगले में आता है, तब भी मंत्र सामने ही रखता है कि, “यह भी चला जायेगा। दूकान नहीं बदलेगी, दुनियां नहीं बदलेगी, बंगला नहीं बदलेगा, हमें बदलना होगा, विचार और प्रकृति को बदलना होगा।” दुःख आता है, तड़फ़न होती है मन से दुःखी, मन के गुलाम बन गये। किसी ने बात नहीं मानी तो अशान्त। तन-मन-धन-जन सब चला जायेगा। कोई नित्य नहीं है सब अनित्य है। जिस अवसर को प्राप्त किया है वह बार-बार नहीं आयेगा। अवसर बार-बार नहीं आवे, अवसर बार बार नहीं आवें! जो जाने तूं करले भलाई, प्राण पलक में जावें ।-अवसर.... जागा सो पाया / समाज, परिवार सब जगह परिवर्तन है / उन्नति, अवनति का क्रम चलता रहता है। समय की पहचान करनी आनी चाहिए। एक ब्राह्मण था ज्योतिष देखना बहुत अच्छा आता था। लेकिन घर में लक्ष्मी का अभाव था। सरस्वती और लक्ष्मी का मेल बहुत ही मुश्किल से मिलता है। एक दिन ब्राह्मण देवता पत्रिका हाथ में ले कर देख रहे थे। पन्ने पलटते पलटते एक अच्छा योग दिखाई दिया। अचानक ही उछल पड़े कूदने लग गये खुशी-खशी में नाचने लगें। ब्राह्मणी ने देखा यह क्या ? पूछा / ब्राह्मण जी ! ब्राह्मण जी ! क्या हुआ इतनी खुशी किस बात की हो रही है ? अरे ! ब्राह्मणी क्या बताऊं अव तो हम नो निहाल हो जायेगें घर की गरीबी समाप्त हो जायेगी। ब्राह्मणी बोली बताओ तो सही हुआ क्या ! ब्राह्मण जी बोले ! ब्राह्मणी तुझे बताऊंगा तो तू सबको कह देगी, अगर किसी को नहीं कहेगी तो मैं बताऊंगा। ब्राह्मणी ने कहां स्वामी मैं किसी को नहीं बताऊंगी। ब्राह्मण जी बोले अमुक तिथि अमुक बार, अमुक समय में घड़ी, नक्षत्र, पल-विपल, कला-विकला ऐसी आयेगी कि उस समय अगर कोई उबलते पानी में जवार जाल देगा तो मोती बन Jain Education InternationBrivate & Personal Useamly.jainelibrary.org