________________ यह जिन्दगी सुख-दुःख का हिसाब करने के लिए नहीं है। जिन्दगी है अंधेरे में से प्रकाश में आने के लिए ! __ हीरे का मूल्य कोई साधारण व्यक्ति नहीं कर सकता। झवेरी ही हीरे की कीमत कर सकता है। मनुष्य जीवन का मूल्यांकन भी वही कर सकता है जो मनुष्य जीवन की मौलिकता को समझता है। इस जीवन से असत्य से सत्यता की ओर, अधर्म से धर्म की ओर, अनैतिकता से नैतिकता की ओर, संसार से मुक्ति की ओर जा सकते है। परन्तु टाइम नहीं है। ईंट,चूना, पत्थर का मकान बनाने का टाइम, खाने के लिए टाइम, शादीयों में पार्टियों में जाने का टाइम, नवरात्री में गरवा देखने का टाइम, पिक्चर देखने का टाइम, पर पदार्थो का निरीक्षण करने का टाइम, लेकिन आत्मा का परिप्रेक्षण करने का समय नहीं। ज्ञानी कहते हैं “अवसर बार-बार नहीं आता"समय निकल गया वह वापिस नहीं आयेगा। समय चूक जाता है वह मूर्ख है और जो समय नहीं चूकता समय की पहचान जानता है वह सज्जन है। संत पुरुषों की एक-एक घड़ी मूल्यवान होती है। पिक्चर देखते है रील चली गई वह उसी समय वापिस नहीं आयेगी। शौ पूरा होने पर जब दुबारा रील चलाई जायेगी तभी वापिस आयेगी। इसी प्रकार जीवन की रील भी निकल जाने पर वापिस नहीं आती है। . एक व्यक्ति संत के पास आया और बोला ! आपकी निश्रा में आया हूँ शान्ति प्राप्त करने के लिए। जीवन में शान्ति मिल जाए ऐसा मंत्र मुझे दे दो। मेरा मित्र परिवार सब अशान्त है। चारों तरफ से जब मन बोझिल हो जाता है तब संतो का आश्रय लिया जाता है। संतो के पास क्या हैं यह तो मिश्री का स्वाद लेने वाला ही जान सकता है कि मिश्री का स्वाद कैसा होता हैं / बार बार कहने पर संत महात्मा ने एक कागज़ पर मंत्र लिख दिया और कहां ले जाओ। ऐसे कैसे लूं विधि-विधान से लूंगा ! अष्टान्हिका महोत्सव कराया और गुरु महाराज से मंत्र ग्रहण किया। गुरु मुख से मंत्र का उच्चारण कराया लिखा था Jain Education Internation Private & Personal Usev@mily.jainelibrary.org