________________ ((6. अवसर बार-बार नहीं आता) - - वीतराग परमात्मा का धर्म समझने का अवसर मिला है। राग में आग लगा कर ही वीतराग आत्म स्वरूप को प्राप्त कर सकते हैं। राग को मिटाना है। दिन-रात पसीना बहा रहे हैं परमात्मा के लिए क्या कर रहे हैं। एक समय ऐसा आयेगा जब तुम सारा वैभव छोड़ कर अज्ञात दिशा की ओर प्रयाण कर जाओगे। समय की पहचान कर लो। समज्ञ बनना है, गति से प्रगति की ओर जाना है। मनुष्य जीवन को प्राप्त किया बार-बार मिलने वाला नहीं है। सर्वोत्तम, सर्वोदय, प्रकाशमय जीवन को प्राप्त कर लिया / ऐसा प्रकाश कहीं नहीं मिलेगा। मनुष्य जीवन के साथ जैन धर्म को पाया। इसको प्राप्त करने के बाद किसी को प्राप्त करने की जरूरत नहीं, उम्मेद नहीं। यह दर्शन सूक्ष्माति सूक्ष्म दर्शन है। दुबकी लगाने वाला समुद्र में दुबकी लगायेगा तभी मोती को प्राप्त कर सकता है। "जिन खोजा, तिन पाईया, गहरे पानी पेठ मैं गोरी डूबन डरी, रही किनारे बैठ॥" जिसको डूबने का भय है वह किनारे पर ही बैठा रहेगा। कुछ प्राप्त नहीं कर पायेगा। जिसको कुछ प्राप्त करने की जिज्ञासा है। वही डुबकी लगायेगा / तत्त्व ज्ञान में डुबकी लगाओगें तो महापुरुष रूपी वाणी के मोती बटोर पाओगे। यह जीवन नर में से नारायण बनने के लिए ...जन में से जैन बनने के लिए....जैन में से जिन बनने के लिए....जीव में से शिव बनने के लिए....संसार में से साधु बनने के लिए....आत्मा में से परमात्मा बनने के लिए....यह जीवन खाने के लिए नहीं, बल्कि खोई हुई आत्मा को खोजने के लिए है। यह जीवन सोने के लिए नहीं, बल्कि सोयी हुई आत्मा को जगाने के लिए है। Jain Education Internationerivate & Personal Usevamily.jainelibrary.org