________________ लंका पहुंचे, रावण को समाचार मिला, उन्होनें हनुमान जी को नागपाश के बन्धन में आबद्ध करवा दिया। तुम दूत बन कर आये हो अब तुम हमारे गुलाम बन गये हो / अब तुमको काला मुंह करके सारे नगर में निकाला जायेगा। हनुमान जागृत बन गया, भगवान राम पर कलंक लग जायेगा। चिन्तन चल पड़ा। मैं सामान्य व्यक्ति का अवदूत नहीं एक अवतारी पुरुष का दूत हूँ। जिस भक्त के हृदय में भगवान का निवास नहीं वह भक्ति कैसी। जिसके हृदय में भगवान नहीं वह भक्त कैसा / जो पूर्ण रूपेण प्रभु के चरणों में समर्पित हो गया तो उसकी क्रिया स्वयं ही होने लग जायेगी। हनुमान की भक्ति अटूट थी। रोमरोम में राम समाये हुए थे। भगवान का नाम लिया और एक ही झटके में नागपाश के बन्धन को तोड़ डाला / जड़ शक्ति पीछे आत्मिक शक्ति पहले है। आत्मिक शक्ति दवी हुई है जागृत करती है। इसलिए ज्ञानियों ने कहां है समय को व्यर्थ मत खोओं। क्षणों की मौलिकता को समझों। प्रभु के स्मरण कों आत्मसात करलो तो फिर मंजिल दूर नहीं ! *** Jain Education Internationerivate & Personal Usenany jainelibrary.org Jain Education Internation@rivate & Personal Usewowy.jainelibrary.org