________________ किसकों रो रहे हों। राजकुमार को या राजकुमार के शरीर को ! राजकुमार को रो रहे हो तो यह खड़ा और शरीर को रो रहे हो तो यह पड़ा / गुरु-महाराज के आलम्बन ने मुझे यहां पहुंचाया है। राजा ने देखा एक देव सामने खड़ा है। चारों तरफ प्रकाश ही प्रकाश है और इस प्रकार बोल रहा है / क्या सत्य है क्या असत्य समझ नहीं आता / गुरु महाराज ने कहां। राजन् आपके पुत्र ने क्षणों को सार्थक बना लिया समय को पहचान लिया। सत्समागम मिल गया। देव लोक में पहुंच गया हैं। वहां से आपको जागृत करने तथा दर्शन देने यहां आया है। राजा बहुत खुश हुआ और गुरु-महाराज को वन्दन नमस्कार कर व्रत धारण किये ! आज दिन तक हमारा माथा कहां कहां झुका है / इन्कमटैक्स के ऑफिसरो के चरणों में सेलटैक्स वालों के चरणों में छापा मारने वालो के चरणों में / प्रभु वीतराग के चरणों में कितनी बार माथा झुकाया होगा परन्तु आगम की रीतिसे मन-वचन-काया त्रिकरणयोग से नहीं झुकाया कमी रही हुई है। समय की पहचान करनी है क्षणों की महत्ता को समझना है कि जो क्षणे बीत रही है वह वापिस आने वाली नहीं है श्वासकी डोर कम होती जा रही है। समय को सार्थक बना ले। झुक जाये, झुक जाये वीतराग के चरणों में अर्पण भाव से मन-वचन काया तीनों से तो लक्ष्य पर पहुंच जायेगें! श्वासे श्वासे प्रभु भजो, व्यथा श्वास न खोय।। न जाने इस श्वास का, फिर आना होय न होय // आत्मा अनन्त शक्तिवान है। उसकी शक्ति विज्ञान से भी बढ़कर है। एक क्षण के अन्दर पृथ्वी का चक्कर काटने वाले रोकेट से भी अधिक शक्ति आत्मा की है। आत्मा अनन्त शक्ति का पुंज है। एटमबम से भी अधिक शक्ति आत्मा के पास में है। एक क्षण में तीन लोक के ज्ञान को प्राप्त कर सकती है। एक बार हनुमान को दूत बना कर रामजन्द्र जी लंका में भेजते हैं। हनुमान जी Jain Education Internation@rivate & Personal Usewowy.jainelibrary.org