________________ तिनखे के समान संसार को छोड़ देते है। फटाफट उसी समय नीचे उतर गया। पत्नियां रोती रह गई। साला-बहनोई एक साथ निकल पड़े और वैभारगिरि पर जाकर साधना करने लग गये। संत एकनाथ ने एक वाक्य सुना, “अनादि का हिसाब" बंगाली बाबू ने अपनी पुत्री का एक वाक्य सुना, "बाबूजी, शाम ढल गई। अंधेरा छा गया, अभी तक दीया नहीं जलाया।"शालीभद्र ने एक “नाथ'शब्द सुना और धन्नाजी ने “कहना सरल और करना कठिन' यह वाक्य सुना। जीवन में परिवर्तन आ गया। जीवन को उज्जवल बना लिया। हमने आज दिन तक कितने वाक्य सुने लेकिन जीवन में कुछ परिवर्तन नहीं। शादी के समय पर वरकन्या मंण्डप में बैठते है। पण्डितजी महाराज क्या कहते हैं सभी को मालुम ही होगा। वर-कन्या सावधान ! वरराजा सावधान ! सावधान किससे? संसार के कचरे में फंस रहे हो सावधान हो जाना। लेकिन फिर भी आंखे नहीं खुलती है। जानकर अन्जान बने हुए हैं। फिर शांति और सद्गति चाहते है। कैसे मिल पाएगी / वाक्य ऐसा सुनो जिस पर चिन्तन चल पड़े। जीवन में स्वच्छता, उज्जवलता आ जाये ! आत्मा अपने निज स्वभाव में आ जाये / आत्मा का स्वभाव है-सम्यक् ज्ञान, सम्यक् दर्शन, सम्यक् चारित्र / मोक्ष मार्ग की प्राप्ति में आधारभूत इन तीनों की प्राप्ति हो जाये। *** Jain Education Internation Private & Personal Usewamy.jainelibrary.org